गर्भ में भी मुझ पर लटक रही थी एक तलवार

Update: 2022-07-29 08:07 GMT

देवभूमि बागेश्वर: 

गर्भ में भी मुझ पर लटक रही, थी एक तलवार।।

जन्म लिया धरती पर फिर भी, थी मैं हमेशा लाचार।।

मेरे आने की खबर सुनकर, बहुत दुखी था मेरा परिवार।।

मां पर उठ रहे थे कई सवाल, घर में हो गया था एक बवाल।।

बचपन जाने कहां खो गई, नहीं मिला कभी परिवार का प्यार।।

बरस रही थी मेरी आंखें, होता देख ये अत्याचार।।

देख कर ये भेदभाव, टूट रही थी मैं बार-बार।।

बेटा-बेटी है एक समान, हाय! कब समझेगा ये संसार।।

(चरखा फीचर)

नीतू रावल

गनी गांव, गरुड़

बागेश्वर, उत्तराखंड

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