देहरादून न्यूज़: आयुर्वेद विवि में स्थापना के समय से ही भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही थीं. शुरुआत में शिकायतों की जांच चार सदस्यीय समिति ने की थी. जांच में समिति को सहयोग नहीं करने के आरोप लगे थे. इस पर शासन ने ये जांच विजिलेंस को सौंप दी थी. इसके बाद विजिलेंस ने 2017 से 2022 तक विवि में हुई हर गतिविधि की जांच शुरू की थी. इसमें वित्तीय अनिमितता, योग अनुदेशकों के पदों पर जारी रोस्टर को बदलने के साथ माइक्रोबायोलॉजिस्ट के पदों पर भर्ती में नियमों का अनुपालन नहीं करने सहित कई आरोप थे. बायोमेडिकल संकाय और संस्कृत में असिस्टेंट प्रोफेसर, पंचकर्म सहायक के पदों पर विज्ञप्ति प्रकाशित करने और फिर रद्द करने की भी बात सामने आई थी.
यही नहीं विवि में पद नहीं होते हुए भी संस्कृत शिक्षकों को पदोन्नति और एसीपी का भुगतान किया गया था. बिना शासन की अनुमति बार-बार विवि ने विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाले गए थे. विभिन्न पदों पर भर्ती के लिए विवि की ओर से गठित समितियों के गठन की विस्तृत सूचना शासन को न देने के साथ ही पीआरडी के माध्यम से 60 से अधिक युवाओं को भर्ती करने का आरोप था. विजिलेंस जांच में वित्तीय अनियमितता, भ्रष्टाचार, नियुक्तियों और परीक्षा में धांधली सहित तमाम आरोप प्रथमदृष्टया सही पाए जाने पर अब भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है. एसपी विजिलेंस देहरादून सेक्टर रेनू लोहनी ने मुकदमे की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि डॉ. सुनील जोशी, डॉ.राजेश अडाना और वित्त नियंत्रक अमित जैन को नामजद किया गया है. बाकी मामला जांच के बाद सामने आएगा.
उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय:
में भ्रष्टाचार, नियुक्तियों में गड़बड़ी,
सामान की खरीद और परीक्षाओं में
धांधलियों के मामले में विजिलेंस ने
आखिरकार मुकदमा दर्ज कर ही लिया.
इन मामलों में कुलपति डॉ.सुनील
जोशी, पूर्व कुलसचिव डॉ.राजेश
अडाना और वित्त नियंत्रक अमित जैन को आरोपी बनाया गया है. इस मामले में कई अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जा सकता है.