लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार किसी भी दशा में नगर निकाय चुनाव अप्रैल में कराना चाहती है। इसकी प्रमुख वजह है अगले साल होने वाले लोकसभा के चुनाव। नगर निकाय चुनाव में अगर बीजेपी अच्छा प्रदर्शन करती है और जिसकी पूरी उम्मीद भी है तो वह पूरे दमखम के साथ लोकसभा चुनाव में उतर कर अपने विरोधियों को कड़ा जवाब दे पाएगी। वह जनता को यह बताएगी कि 2022 में उसने विधानसभा चुनाव जीते और 2023 में निकाय चुनाव में भी उसने सफलता के नए मापदंड खड़े किए हैं।
इसका लोकसभा चुनाव पर काफी पॉजिटिव असर पड़ेगा। इसीलिए योगी सरकार आगामी नगर निकाय चुनाव को देखते हुए नगर निगम और पालिका परिषद अधिनियम में संशोधन करने की तैयारी कर रही है। नगर विकास विभाग को इसके लिये प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है, जिसे जल्द ही तैयार करके योगी कैबिनेट की मीटिंग में पेश किया जाएगा। संशोधन में निकाय चुनाव में सीटों का आरक्षण ट्रिपल टेस्ट के आधार पर करने का प्रावधान शामिल होगा। ऐसा होने पर मेयर और अध्यक्ष की सीटों का आरक्षण पूरी तरह से बदल जाएगा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2010 में अपने एक अहम फैसले में उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के लिए ट्रिपल टेस्ट के आधार पर सीटों के आरक्षण की व्यवस्था दी थी।उधर, उत्तर प्रदेश में इसके बाद भी वर्ष 2012 और 2017 में पुरानी व्यवस्था के आधार पर ही निकाय चुनाव हुए थे,लेकिन अब योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ट्रिपल टेस्ट की व्यवस्था को नगर निकाय अधिनियम में शामिल करने की तैयारी कर रही है। इसके लागू होने के बाद इसी वर्ष नगर निकाय चुनाव के लिए नगर विकास विभाग द्वारा जारी दोनों आरक्षण सूचियों को शून्य मान लिया जाएगा। इस वर्ष होने वाले चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के आधार पर पिछड़ों के लिए हिस्सेदारी तय करते हुए सीटों का आरक्षण किया जाएगा, जिससे भविष्य में होने वाले चुनावों को इसके आधार पर ही कराया जाए।
जबकि उप्र राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग ने प्रदेश के सभी 75 जिलों का सर्वे करते हुए रिपोर्ट तैयार कर ली है। जल्द ही यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी जाएगी। इसके बाद इस रिपोर्ट के आधार पर पिछड़ों की हिस्सेदारी तय की जा सकती है। आरक्षण की व्यवस्था करने से पहले नगर विकास विभाग आयोग की रिपोर्ट के संबंध में सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराएगा। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 31 मार्च तक का समय दिया है। सूत्रों का कहना है कि आयोग की रिपोर्ट आने के बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी और इसकी जानकारी देते हुए चुनाव कराने की अनुमति मांगेगी। सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के तुरंत बाद यूपी में निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अधिसूचना जारी की जा सकती है। क्योंकि योगी सरकार की भी यही चाहती है कि अप्रैल तक निकाय चुनाव करा लिए जाएं ताकि नगर निगम और नगर पालिका के नवनिर्वाचित मेयर,अध्यक्ष और सदस्य पूरे दमखम के साथ लोकसभा चुनाव में पार्टी की मदद कर सकें।वैसे इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि नगर निकाय चुनाव में टिकट के लिए कई जगह बगावत भी देखने को मिल सकती है।ऐसा इस लिए है क्योंकि बीजेपी के टिकट के दावेदारों की संख्या अन्य दलों के दावेदारों से काफी अधिक है।