राष्ट्रीय बाधिरता बचाव एवं रोकथाम कार्यक्रम के तहत विश्व श्रवण दिवस पर कार्यशाला का आयोजन
मुजफ्फरनगर: जिला अस्पताल स्थित रेड क्रॉस भवन में एवं चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाधिरता बचाव एवं रोकथाम कार्यक्रम के तहत विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग की उपलब्धियों के बारे में बताया औऱ 4 बच्चों को हियरिंग एड दिया गया।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. महावीर सिंह फौजदार ने बताया कि अब से 2 साल पहले मुजफ्फरनगर स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में 34वें नंबर था, जिसके बाद अब मुजफ्फरनगर तीसरे नंबर पर पहुंच गया है। रोजान करीब 2000 लोग विश्वास के साथ ओपीडी में आते है और अपना इलाज करवाते है। इसके साथ ही विभाग का भी प्रयास है कि हर मरीज को बेहतर इलाज मुहैया कराया जाए। उन्होंने बताया कि हमारा प्रयास है कि किसी भी परिवार में कोई व्यक्ति बीमार ना हो, यदि कोई व्यक्ति बीमार होता है तो जल्द से जल्द इलाज शुरु करें, क्योंकि जब परिवार का कोई सदस्य बीमार होता है तो पूरा परिवार प्रभावित होता है, हम चाहते है कि पूरा परिवार स्वस्थ रहे।
उन्होंने बताया कि पीएमएमवीवाई योजना के तहत 86753 लाभार्थियों को लाभ दिया गया। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत 2,73362 गोल्डन कार्य बनाए गए, जबकि 17148 मरीज लाभ ले चुके है। जननी सुरक्षा योजना के तहत 2017-22 तक 1,10,265 लाभार्थियों को योजना का लाभ दिया गया। जननी सुरक्षा कार्यक्रम के तहत 2017-22 के 3,57980 लाभार्थियों को योजना का लाभ दिया गया। जिले में 260 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स है जिनपर 227 सीएचओ तैनात है 34 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। जिनपर 26 एमबीबीएस डॉक्टर्स लोगों को स्वास्थ्य लाभ दे रहे है।
उन्होंने बताया कि 2025 तक भारत को टीबी मुख्त बनाने के उद्देश्य से विभाग द्वारा लगातार काम किया जा रहा है। जिले में विभाग द्वारा 2017 में 4054 मरीजों को खोजा गया, जिनमें से 3826 मरीजों ने टीबी से मुक्ति पाई, 2028 में 6247 मरीजों का इलाज शुरु हुआ जिनमें से 4807 मरीज ठीक हुए, 2019 में 7571 मरीजों में से 5932 मरीज ठीक हुए, 2020 में 5319 मरीजों में से 4343 मरीज ठीक हुए, 2021 में 6559 मरीजों में से 5532 मरीज ठीक हुए, 2022 में 7892 मरीजों में 4220 मरीजों ने टीबी से मुक्ति पाई, इसके अलावा लगातार टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग जारी है, और मरीजों को इलाज के साथ-साथ जागरुक करके भावनात्मक स्पोर्ट भी दिया जा रहा है।