जिले के नदियों से बाढ़ का पानी कम होने लगा है। इसके बाद भी 15 ग्राम पंचायत के 70 मजरों में पानी भरा हुआ है। बाढ़ पीड़ितों का जन जीवन अस्त व्यस्त है। अभी तक तहसील प्रशासन की ओर से बचाव के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। बाढ़ चौकियों पर राजस्व कर्मी अलर्ट हैं। नेपाल के पहाड़ों पर हो रही बारिश तराई के बहराइच में मुसीबत का सबब बना हुआ है।
रविवार को बड़े जलस्तर के बीच कैसरगंज, महसी, नानपारा आंशिक और मोतीपुर तहसील क्षेत्र में बाढ़ ने तबाही मचाना शुरू कर दिया था। जरवल रोड में 61 सेंटीमीटर और महसी में 21 सेंटीमीटर नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी। हालांकि सोमवार को नदी का जलस्तर काफी कम हो गया। जिससे गांवों से बाढ़ का पानी निकलने लगा। लेकिन अभी भी कैसरगंज, महसी और मोतीपुर तहसील के 70 पुरवा में बाढ़ का पानी भरा हुआ है।
जिनके मकान बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं, वह सभी मचान का सहारा लिए हुए हैं। बाढ़ पीड़ितों में कोहराम मचा हुआ है। लेकिन तहसील प्रशासन की ओर से अभी तक बचाव के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। वहीं जलस्तर स्थिर होने के साथ कटान भी तेज हो गई है। खेत और मकान नदी में समहित हो रहे हैं। इस मामले में अपर जिला अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि जहां भी ग्रामीणों का नुकसान हुआ है। उनकी रिपोर्ट तहसील द्वारा भेजी जा रही है। सभी को मुआवजा दिया जाएगा।
मोतीपुर में कटान की स्थिति
बारिश के बाद अब कौड़ियाला नदी अब भरथापुर गांव के लिए मुसीबत बनी हुई है।कौड़ियाला नदी का जलस्तर अब धीरे धीरे घटने लगा है। जिससे किसानों की धान की फसलें व जमीन नदी में समाती जा रही है। रात से तेजी से हो रही कटान हो रही है। किसानो की लगभग 5 एकड़ धान की फसल भी नदी में समा गई है। आलम यह है। अब किसानों ने खतरे को देखते हुए अपनी बची हुई धान की फसल को काटना शुरू कर दिया है जिससे वह अपने मवेशियों को चारा खिला सकें।
तटबंध न होने से भरथापुर पर खतरा
पूर्व में कॄषि विशेषज्ञ सतीश कुमार वर्मा के द्वारा सिचाई विभाग एवं वन विभाग से तटबंध निर्माण के लिए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार से मांग की गई किंतु सरकारी विभागों की हीलाहवाली के कारण राजस्व ग्राम भरथापुर पर अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया हैं।
न्यूज़ क्रेडिट: amritvichar