लखनऊ न्यूज़: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में निर्णय हुआ कि अनुसूचित जाति व जनजाति की जमीन लेने की एवज में योजना में ही जमीन देने पर डीएम से एनओसी लेना जरूरी नहीं होगा. शर्ते यह होगी की दी जाने वाली जमीन 50 वर्ग मीटर से कम नहीं होनी चाहिए. इसके साथ ही उसे मुफ्त में ईडब्ल्यूएस मकान भी देना होगा. ग्राम समाज, सीलिंग व अन्य शासकीय भूमि का अधिकतम 20 फीसदी तक ही अर्जन किया जा सकेगा. लिंक रोड के लिए वरीयता दी जाएगी.
पचास फीसदी जमीन होने पर बिल्डरों का डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) और लेआउट 60 दिनों में मंजूर होगा. हर चरण के लिए अनुमति 75 फीसदी जमीन होने पर दी जाएगी. टाउनशिप का विकास अधिकतम छह चरणों में किया जाएगा. 50 एकड़ की टाउनशिप चार साल, 51 से 100 एकड़ पांच साल, 101 से 200 एकड़ छह साल और 201 एकड़ से अधिक होने पर 10 सालों में परियोजना पूरी करनी होगी. परफार्मेंस गारंटी के रूप में कुल विक्रय योग्य 20 फीसदी जमीन बंधक रखना होगा या फिर उतनी राशि गारंटी के रूप में देना होगा. रेरा में पंजीकरण जरूरी होगा.
निर्धारित समय में डीपीआर न देने पर एक माह का नोटिस देकर उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा और 10 फीसदी जमीन जब्त कर ली जाएगी. तय समय पर योजना पूरी न होने पर प्रति एकड़ 50 हजार रुपये विस्तार शुल्क देना होगा.
20 फीसदी मकान गरीबों के लिए बनेंगे
योजना में 20 फीसदी मकान गरीबों के लिए बनाने होंगे. इसमें 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस व 10 फीसदी एलआईजी होंगे. सामुदायिक सुविधाएं मानक के अनुसार देनी होगी. योजना में आने वाली ग्रामीण आबादी के लिए शासन की नीति के अनुसार मूलभूत सुविधाएं देनी होंगी.
ये छूट मिलेंगी
● स्टांप शुल्क में 50 फीसदी छूट
● पांच लाख से कम आबादी वाले शहरों में 50 भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क में छूट
● पांच से दस लाख आबादी वाले शहरों में यह छूट 25 प्रतिशत होगी
● विकास प्राधिकरण बोर्ड शासन की शक्तियों पर भू-उपयोग बदलेगा