पंचक्रोशी परिक्रमा का महत्व क्या है ? इसकी शुरूआत कब से हुई आइए जानते हैं इसके बारे में
भगवान शिव की नगरी काशी में महाशिवरात्रि की पूर्व रात्रि पर पंचक्रोशी परिक्रमा प्रारंभ होती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज महाशिवरात्रि पूरे देश में मनाई जा रही है. शिव भक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न कर अपनी मनोकामनओं की पूर्ति के लिए कई प्रकार के उपाय और शिव मंत्रों का जाप करते हैं. शिव मंदिरों में महादेव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. भगवान शिव (Lord Shiva) की नगरी काशी (Kashi) में महाशिवरात्रि की पूर्व रात्रि पर पंचक्रोशी परिक्रमा (Panchkroshi Parikrama) प्रारंभ होती है. इसकी शुरूआत मणिकर्णिका घाट (Manikarnika Ghat) पर बने मणिकर्णिका कुंड से होती है. पंचक्रोशी परिक्रमा की शुरूआत कब से हुई? पंचक्रोशी परिक्रमा का महत्व क्या है? आइए जानते हैं इसके बारे में.
महाशिवरात्रि 2022 पंचक्रोशी परिक्रमा
हर साल महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व रात्रि को काशी के मणिकर्णिका घाट स्थित मणिकर्णिका कुंड से पंचक्रोशी परिक्रमा प्रारंभ होती है. कुंड से जल लेकर पंचक्रोशी परिक्रमा को पूर्ण करने का संकल्प लिया जाता है और फिर यात्रा प्रारंभ की जाती है. यह यात्रा 50 मील यानी करीब 80 किलोमीटर की होती है. 50 मील की इस यात्रा में पांच पड़ाव आते हैं, ये पड़ाव 5 मंदिर हैं.
पंचक्रोशी परिक्रमा का पहला पड़ाव 3 कोस पर स्थित कर्दमेश्वर मंदिर होता है. कर्दम ऋषि ने यहां पर शिवलिंग की स्थापना की थी, इस वजह से इसे कर्दमेश्वर महादेव मंदिर कहते हैं. यहां पर शिव पूजा करने से आयु में वृद्धि होती है.
पंचक्रोशी परिक्रमा का दूसरा पड़ाव कर्दमेश्वर मंदिर से 5 कोस दूर भीम चंडी पर होता है. फिर तीसरा पड़ाव भीम चंडी से 7 कोस की दूरी पर स्थित रामेश्वर है. परिक्रमा का चौथा पड़ाव शिवपुर है, यह रामेश्वर से 4 कोस की दूरी पर है. पंचक्रोशी परिक्रमा का पांचवा और अंतिम पड़ाव कपिलधारा है, जो शिवपुर से 3 कोस की दूरी पर है.
वहां से फिर मणिकर्णिका घाट पर आकर पंचक्रोशी परिक्रमा पूर्ण होती है. कपिलधारा से मणिकर्णिका घाट की दूरी 3 कोस है. पंचक्रोशी परिक्रमा में इस तरह से 25 कोस की दूरी तय की जाती है.
प्रभु श्रीराम ने की थी पहली बार पंचक्रोशी परिक्रमा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पंचक्रोशी परिक्रमा का प्रारंभ सबसे पहले प्रभु श्रीराम ने किया था. उनके पिता राजा दशरथ ने गलती से श्रवण कुमार का वध कर दिया था, तब उनके माता पिता ने राजा दशरथ को श्राप दिया था. उस श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान श्रीराम ने पत्नी सीता और तीन भाइयों के साथ पहली बार पंचक्रोशी परिक्रमा की थी.
दूसरी बार पंचक्रोशी परिक्रमा श्रीराम ने तब की थी, जब रावण वध करने से उन पर ब्रह्म हत्या का दोष लगा था. उस दोष से मुक्ति के लिए प्रभु श्रीराम ने पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण के साथ पंचक्रोशी परिक्रमा की थी. ऐसी भी मान्यता है कि पंडवों ने भी अज्ञातवास के समय पत्नी द्रौपदी संग पंचक्रोशी परिक्रमा की थी.