क्या है जानवरों में फैलने वाली खतरनाक गांठदार बीमारी, 5 पॉइंट्स में समझें

जानवरों में फैलने वाली खतरनाक गांठदार बीमारी, 5 पॉइंट्स में समझें

Update: 2022-08-17 09:26 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) वायरस ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में फैल रहा है. एलएसडी गाय और भैंसों में फैलने वाला एक संक्रामक रोग है, जो तेजी से एक-दूसरे में फैलता है. इसमें पशु की त्वचा पर गांठें हो जाती हैं और त्वचा खराब हो जाती है. इससे पशुओं में कमजोरी, दूध देने की क्षमता कम हो जाती है. गर्भपात, बांझपन, पशुओं के बच्चों में कम विकास लंगड़ापन या मौत हो सकती है. पशुओं में यह बीमारी यूपी के गोंडा, बलरामपुर, सोनभद्र आदि जिलों में तेजी से फैल रही है.

इस बीमारी से पशुपालन विभाग ने सभी जिलों के मुख्य पशु चिकित्साधिकारियों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया है. इस वायरस का असर दिखे तो तुरंत डाक्टर को सूचित करने को कहा है. बताया जाता है कि यह रोग काटने वाली मक्खियों, मच्छरों एवं जूं के सीधे संपर्क में आने से पशुओं में फैलता है. दूषित चारा, पानी से भी यह फैल सकता है. संक्रमित पशु में कई बार दो से पांच सप्ताह तक लक्षण नहीं दिखते और फिर अचानक यह रोग नजर आ जाता है. यह रोग पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलता है.
पशु चिकित्सकों का कहना है कि इस बीमारी से पशु के शरीर का तापमान 106 डिग्री फारेनहाइट हो जाता है. भूख में कमी, चेहरे, गर्दन, पलकों समेत पूरे शरीर में गोल उभरी हुई गांठें हो जाती हैं. फेफड़ों में संक्रमण के कारण निमोनिया, पैरों में सूजन, लंगड़ापन हो जाता है. इस रोग के फैलने की आशंका बीस प्रतिशत है और मृत्यु दर पांच प्रतिशत तक है. बीमार पशु के 50 किमी दायरे में तेजी से फैल सकता है. बछड़े को मां से संक्रमण हो सकता है. देशी नस्ल के पशुओं की तुलना में क्रास ब्रीड में इसका असर ज्यादा होता है क्योंकि इनकी त्वचा पतली होती है. प्रभावित सांडों के सीमन से भी यह वायरस दूसरे पशु में जा सकता है.
किसी पशु के प्रभावित होने पर उसे अलग रखें. मक्खी, मच्छर, जूं आदि को मारें. प्रभावित क्षेत्रों में मवेशी मेले, शो और पशुधन बाजार आदि पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. बीमार पशु की मृत्यु पर शव को खुला न छोड़ें. उसके जमीन में दबा दें. पूरे क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं से सफाई करें. बकरी पॉक्स वैक्सीन का उपयोग किया जा सकता है लेकिन केवल स्वस्थ पशु में यह ज्यादा कारगर है. ऐसे पशु के उपचार की सुई का दोबारा प्रयोग न करें. प्रभावित पशु के पांच किमी में रिंग वैक्सीनेशन कराया जाए. पशु की इम्युनिटी बढ़ाने की दवाएं मल्टी विटामिन आदि अवश्य दें. इससे प्रभावित पशु का दूध पीने से कोई नुकसान नहीं होगा. दूध को पीने से पहले उबाल लेना चाहिए.


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