58 सीटों पर वोटिंग, मुजफ्फरनगर के पोलिंग बूथ पर EVM खराब, पांच राज्यों के चुनाव पर भी हो सकता है हिजाब विवाद का असर
नई दिल्ली: कर्नाटक में हिजाब विवाद से राज्य में भाजपा की सरकार की दिक्कतें तो बढ़ी ही हैं, साथ ही इसका असर पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश में पहले चरण के मतदान के दो दिन पहले हुई इन घटनाओं से वहां पर कुछ ध्रुवीकरण होने की भी संभावना है। हालांकि भाजपा की चिंता कर्नाटक के अंदरूनी समीकरणों को लेकर ज्यादा है। भाजपा नेतृत्व पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद कुछ जरूरी कदम उठा सकता है।
कर्नाटक के स्कूलों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनकर जाने को लेकर उठे विवाद को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों के साथ देश के बाहर भी प्रतिक्रिया हुई है। भले ही यह संयोग हो, लेकिन विपक्षी दलों के नेता मतदान की तिथि और कर्नाटक की घटनाओं को जोड़कर भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं। उनका दावा है कि यह जानबूझकर किया गया है। दरअसल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सामाजिक समीकरण इस तरह के हैं कि जिसमें हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण को लेकर राजनीति जोरों पर है। इसकी क्रिया और प्रतिक्रिया में कौन लाभ की स्थिति में रहेगा यह स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है। राजनीतिक रूप से किसी अन्य दल के बजाय भाजपा या सपा को इसका लाभ मिलेगा या नुकसान होगा।
हालांकि भाजपा की अपनी चिंता अलग है। चुनाव में इसका जो भी असर पड़े और उसे जो भी लाभ मिले वह अपनी जगह है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन के बाद उसकी सरकार की स्थिरता प्रभावित हो रही है। बी एस येदियुरप्पा के बाद मुख्यमंत्री बने बसवराज बोम्मई को पार्टी के विभिन्न वर्गों से उतना अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है, जितना जरूरी है। कुछ नेताओं की महत्वाकांक्षाएं भी हैं।
सूत्रों के अनुसार कर्नाटक में माहौल जितना गरमाया हुआ है, उसे पार्टी अच्छे संकेत नहीं मान रही है। भाजपा नेतृत्व नहीं चाहता है कि कर्नाटक में ऐसे घटनाक्रम घटें जिससे कि विपक्ष को मौका मिल सके। भाजपा में केंद्रीय स्तर पर और राज्य स्तर पर भी ऐसे नेता हैं जो बसवराज बोम्मई को पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।