Varanasi: डाउन स्ट्रीम में पूरब से रेत बीच गंगा के आगे पहुंची

‘रेत के राक्षस’ से कब तक बचेंगे काशी के पक्के घाट

Update: 2024-06-03 03:29 GMT

वाराणसी: काशी में गंगा के पक्के घाटों पर खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. ‘रेत का राक्षस’ पूरब से पश्चिम की ओर पक्के घाटों को तेजी से अपनी जकड़ में ले रहा है. गंगा के अप स्ट्रीम में रेत का उभार जटिल समस्या बन चुका है. अब डाउन स्ट्रीम में पूरब से रेत बीच गंगा के आगे पहुंच चुकी है.

असीमित दोहन के कारण गंगा में जल की कमी हो गई. इसका असर जल के प्रवाह और गंगा की गहराई में कमी के रूप में दिख रहा है. इससे गंगा का पाट सिकुड़ चला है. राजघाट पुल से स्पष्ट देखा जा सकता है कि डाउन स्ट्रीम में रेत का विस्तार तेजी से सिंधिया व सक्का घाटों की ओर हो रहा है. नदी विज्ञानी इससे चिंतित हैं.

प्रो. बीडी. त्रिपाठी के अनुसार गंगा के अस्तित्व के लिए रेत जरूरी है लेकिन एक सीमा तक. उसके आगे विस्तार होने पर उसका खनन जरूरी है. पहले रामनगर से राजघाट के बीच कछुआ सैंक्चुरी के कारण रेत खनन पर प्रतिबंध था लेकिन अब सैंक्चुरी स्थानांतरित हो चुकी है. अब आवश्यकता से अधिक रेत का खनन और गंगा की तलहटी से गाद का निस्तारण जरूरी हो गया है. उन्होंने कहा कि अब से भी इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए जाएं तो समस्या का समाधान संभव है.

गलियों के बाशिंदे छुट्टा पशुओं से परेशान: पक्के महाल के लोगों के लिए इन दिनों छुट्टा पशु परेशानी का कारण बने हुए हैं. पशुपालक उन्हें खुला छोड़ देते हैं. जो राहगीरों की समस्या का कारण बनते हैं. खासकर महलिएं और बच्चे इनके बगल से गुजरने में खौफजदा रहते हैं. चौखंभा क्षेत्र इन दिनों छुट्टा पशुओं के लिए सबसे मुफीद बना है. यहां सब्जी मंडी होने के कारण पूरे दिन पशु मंडराते रहते हैं. इनके कारण गलियों में गंदगी भी रहती है.

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