वाराणसी: काशी में तैयार काठ की मूर्तियों और मुखौटों से सजेगा अयोध्या में राम दरबार
काष्ठ कला की नगरी काशी में लकड़ी के खिलौने बनाने वाले कारीगर रामचरित मानस के प्रसंगों पर आधारित मुखौटों को अंतिम देने में जुट गए हैं। इन मुखौटों को अयोध्या के कला संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा। राम जन्मभूमि मंदिर के उद्घाटन से पहले काशी में तैयार काठ की मूर्तियों और मुखौटों को अयोध्या भेज दिया जाएगा। करीब 300 कारीगर मानस के 22 प्रसंगों के लिए 56 प्रकार के मुखौटे बना रहे हैं।
खिलौना कारोबारी बिहारी लाल अग्रवाल ने बताया कि अयोध्या से मानस प्रसंगों पर मुखौटे और मूर्तियां बनाने का ऑर्डर मिला है। करीब डेढ़ वर्ष से उन्हें बनाने का काम चल रहा है। नवंबर में इन मूर्तियों व मुखौटों को अयोध्या भेज दिया जाएगा। इसमें श्रीराम दरबार से लेकर वनगमन, सीता हरण, सीता स्वयंवर, समुद्र पूजन, राम सेतु, रावण, कुंभकरण, मेघनाथ, अशोक वाटिका आदि प्रसंगों को बनाने का काम अंतिम चरण में है।
विशेष प्रकार की लकड़ी से तैयार हो रहे मुखौटे
मुखौटे और मूर्तियों के लिए विशेष प्रकार की लकड़ी का इस्तेमाल हो रहा है। फटने और टेढ़े होने से बचाने के लिए लकड़ी को सुखाया जाता है। इसके बाद उन्हें आवश्यकता के अनुसार काटकर आकार दिया जाता है। इसके बाद उसका रंगरोगन किया जाता है।
काशी में तैयार काठ की मूर्तियों और मुखौटों से सजेगा अयोध्या में राम दरबार - फोटो : अमर उजाला
भाव प्रधान मूर्तियां दिखने में अद्भुत
मुखौटों और मूर्तियां बनाने में भाव की प्रधानता होती है। राम का चरित्र सौम्य है तो उनके मुखौटे और मूर्तियाें में उनके भाव प्रदर्शित होते हैं। उसी प्रकार कुंभकरण को खाद्य सामग्रियों और शोर के बीच दर्शाया गया है। रावण और मेघनाथ के मुखौटे उग्रता के भाव को समेटे हुए हैं।
विदेशी आक्रांताओं का भी दिखता है प्रभाव
करीब चार सौ वर्ष पुरानी परंपरा पर विदेशी आक्रांताओं का प्रभाव दिखता है। बताते हैं कि पहले हाथी दांत और चंदन की लकड़ी के उत्पाद बनते थे। इसमें सल्तनत काल के हौदी के साथ हाथी और घुड़सवार तो अंग्रेजों के आने के साथ ईसाई धर्म के प्रतीक भी खिलौनों में दिखते हैं।
राम से बड़ा है रावण का मुखौटा
मूर्तियों और मुखौटे के बारे में बिहारी लाल ने बताया कि भगवान राम की मूर्ति रावण की मूर्ति से छोटी है। जहां राम की मूर्ति 18 बाई 8 इंच की है, वहीं रावण की मूर्ति 36 बाई 24 इंच की है। यहां आठ इंच से 36 इंच लंबी मूर्ति और मुखौटे बनाए जा रहे हैं।