Varanasi: आईआईटी के छात्रों के लिए नए अवसरों का होगा सृजन
निदेशक प्रो. अमित पात्रा के साथ भी उनकी लंबी बातचीत हुई
वाराणसी: ईआईटी बीएचयू के पूर्व छात्र-छात्राएं मौजूदा छात्रों के लिए नए अवसरों का सृजन करेंगे. इसमें स्टार्टअप, रोजगार, पार्टनरशिप और मार्गदर्शन भी शामिल होंगे. परिसर में मौजूद 1974 बैच के पूर्व छात्र-छात्राओं ने आपसी चर्चा के बाद यह संकल्प लिया. इसके बाद निदेशक प्रो. अमित पात्रा के साथ भी उनकी लंबी बातचीत हुई.
आईआईटी बीएचयू में अपना स्वर्ण जयंती समागम मनाने पहुंचे 1974 बैच के लगभग 200 छात्र-छात्राओं ने भी परिसर भ्रमण किया. अलग-अलग जत्थों में ये बुजुर्ग युवाओं की तरह अपने विभाग और संकाय में पहुंचे. इसके साथ ही हॉस्टल का भी दौरा किया. सुबह सभी ने माधोपुर स्थित शूलटंकेश्वर मंदिर दर्शन किया और गंगा तट पर देर तक बैठे रहे. दोपहर के लंच के बाद आईआईटी जिमखाना में सभी ने बैठक की. आयोजन के समन्वयक पुरुषोत्तम कुमार और एएन सिंह ने बताया कि पूर्व छात्रों ने संस्थान को ‘गिव बैक’ का बीड़ा उठाया है. इसके तहत आर्थिक धनराशि जुटाने के साथ ही वर्तमान छात्रों की हर तरह से मदद की जाएगी. 1974 बैच के ये पूर्व छात्र-छात्राएं देश के कोने-कोने से लेकर विदेशों तक से आए हैं. इनमें कई बड़ी कंपनियों के सीईओ, एमडी हैं तो कई ने यूनीकॉर्न कंपनियां भी शुरू की हैं.
वैदिक साहित्य में जल औषधि उपेंद्र: जल की महत्ता केवल प्यास बुझाना नहीं है. वैदिक साहित्य में इसका उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है. बीएचयू के वैदिक विज्ञान केंद्र के समन्वयक प्रो. उपेंद्र कुमार त्रिपाठी ने छात्रों और शिक्षकों को यह जानकारी दी.
सामाजिक विज्ञान संकाय के इतिहास विभाग की तरफ से आयोजित ‘भारतीय संस्कृति मंो जल संरक्षण’ विषयक कार्यशाला वह मुख्य अतिथि और वक्ता थे.
विशिष्ट वक्ता भारत अध्ययन केंद्र के शताब्दी फेलो डॉ. ज्ञानेंद्र नारायण राय और विशिष्ट अतिथि कृष्ण मोहन रहे. अध्यक्षता सामाजिक विज्ञान के पूर्व संकाय प्रमुख प्रो. आरपी पाठक ने की. प्रो. प्रवेश भारद्वाज ने विषय स्थापना और संयोजन डॉ. अशोक सोनकर ने किया. डॉ. ज्ञानेन्द्र नारायण राय ने कहा कि यदि आप तालाब, कुण्ड, पोखरा, कुआ आदि का संरक्षण करते है तो आप जल संरक्षण ही करते है. विशिष्ट अतिथि कृष्ण मोहन ने जल संरक्षण की अपील की. इस अवसर प्रो. एचके सिंह संकाय प्रमुख वाणिज्य संकाय, प्रो. शरद श्रीवास्तव, डॉ. मनोज मिश्रा, प्रो. श्रवण शुक्ला, डॉ. भूपेन्द्र श्रीवास्तव, डॉ. अशोक सिंह आदि थे.