UTTARPRADESH : विपरीत परिस्थितियों में भी मैदान नहीं छोड़ा, हौसले के साथ जीत की तैयारी की

Update: 2024-07-17 03:12 GMT
JHANSI : पंखों FANS  से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है, मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है। ये लाइनें उत्तर प्रदेश की टीम TEAMS में शामिल उन खिलाड़ियों पर सटीक बैठती हैं, जिन्होंने तंगहाली में भी मैदान नहीं छोड़ा और अपने हौसलों के दम पर कई प्रतियोगिताओं में खेल का प्रदर्शन किया।
मेजर ध्यानचंद स्टेडियम STADIUM  में चल रही राष्ट्रीय सब जूनियर हॉकी चैंपियनशिप में प्रतिभाग करने वाली यूपी की बालिका टीम में कई खिलाड़ियों ने आर्थिक संकट झेलने के बाद भी मैदान नहीं छोड़ा। किसी के पिता ऑटो ड्राइवर हैं तो किसी के पिता मजदूरी करते हैं। आर्थिक संकट होने के बाद भी इन पिताओं ने अपनी बेटियों को सभी सुविधाएं मुहैया कराईं। बेटियों ने भी जिला और राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में प्रदर्शन के बाद नॉर्थ जोन राष्ट्रीय हाॅकी चैंपियनशिप में जीत से आगाज किया। टीम में शामिल बेटियों DAUGHTER के हौसले बुलंद हैं।
- बीमारी के चलते 2017 में पापा की मृत्यु हो गई थी। उनका सपना था कि दुनिया भर में देश का नाम रोशन करूं। उनके सपने को साकार करना चाहती हूं। - विभा कटियार
- मां राष्ट्रीय स्तर की एथलीट हैं। पापा का सपना है कि उनकी बेटी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन करे। पापा की उम्मीदों पर खरा उतरना चाहती हूं। - श्वेता उपाध्याय
- पापा सरकारी कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। परिवार की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है। खेल की सभी सुविधाएं मुहैया कराने में कोई भी कमी नहीं छोड़ते। - शैलजा चतुर्वेदी
- परिवार में आठ सदस्य हैं, जिनमें सबसे छोटी हूं। पापा ऑटो AUTO चलाते हैं। परिवार के हर सदस्य की जरूरतें भी पूरी करते हैं। उनकी उम्मीदों को पूरा करना चाहते हैं। - पायल सोनकर
- पिता मैकेनिक हैं और परिवार की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं पर है। खेल में रुचि होने पर उन्होंने ही मुझे हॉकी HOCKEY थमाई। अब उनके ख्वाबों को पूरा करना लक्ष्य है। सोमिका धानुक
- टीम TEAM में शामिल सभी खिलाड़ी जोश से लबरेज हैं। जिस तरह प्रदेश की टीम TEAM ने जूनियर चैंपियनशिप जीती थी, उसी तरह से सब जूनियर भी जीतेगी। 
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