उत्तर-प्रदेश: कटान से मंडराया तीन सौ वर्ष पुराने जीता दास आश्रम पर खतरा

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Update: 2022-07-18 17:05 GMT
बसखारी (अंबेडकरनगर)। सरयू नदी में बढ़ते कटान के चलते केवटला गांव के पास स्थित लगभग तीन सौ वर्ष पुराने मंदिर का अस्तित्व खतरे में दिख रहा है। कई दिनों से नदी में तेजी से हो रही कटान बाबा जीता दास के समाधि स्थल की तरफ बढ़ रही है। शिकायत के बावजूद जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं। ग्रामीण खुद ही नदी के किनारे पेड़ों की डाल आदि रखकर कटान को कम करने की जुगत में जुट गए हैं। हालांकि इससे कोई खास राहत मिलती नहीं दिख रही है।
सरयू नदी के जलस्तर में भले ही कोई खास इजाफा न हुआ हो लेकिन लगातार तटीय क्षेत्रों में हो रही कटान ने इस बार ग्रामीणों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। कई जगह कटान से जहां खेत नदी के आगोश में समाते जा रहे हैं, वहीं बसखारी विकास खंड क्षेत्र के केवटला गांव में नदी के किनारे करीब तीन सौ वर्ष से आस्था का केंद्र बने बाबा जीतादास आश्रम का अस्तित्व संकट में पड़ गया है।
नदी में प्रतिदिन हो रही कटान से सरयू का पानी आश्रम की तरफ बढ़ रहा है। इसके चलते अब तक दो पेड़ धराशायी हो गए। उसे काटकर ग्रामीणों ने हटाया। इसके अलावा नदी के किनारे बना एक कमरा भी जल्द ही पानी के आगोश में जाने के करीब पहुंच गया है। बाबा जीतादास ने जिस स्थल पर समाधि ली थी, वह भी अब पानी से ज्यादा दूर नहीं है।
यहां रह रहे बाबा हरिशंकर दास के मुताबिक इस क्षेत्र में पहली बार कटान हो रही है। यदि प्रशासन ने कोई ठोस पहल न की तो समाधि स्थल भी कटान की जद में आ सकता है। बाबा बिरागी दास, ग्रामीण पुद्दन यादव, अशोक यादव, राजबहादुर यादव, महेंद्र पांडेय ने जिलाधिकारी से अविलंब बाढ़ प्रखंड को निर्देशित कर जरूरी इंतजाम कराने की मांग की है।
नहीं हो रही सुनवाई
ग्राम प्रधान अनीता यादव ने बताया कि वे राजस्व टीम के साथ ही तहसील स्तरीय अधिकारियों को इसकी जानकारी चार दिन से दे रही हैं। यदि जल्द ही जरूरी प्रबंध न किया गया तो आश्रम कटान की चपेट में आकर नदी में समा जाएगा। अब तक किसी टीम ने मौके पर पहुंचकर जायजा लेने या फिर कटान रोकने की जरूरत नहीं समझी।
शिकायत का लिया जाएगा संज्ञान
केवटला आश्रम के पास नदी में हो रही कटान की जानकारी अब तक नहीं थी। यदि कटान हो रही है तो इसके बारे में जानकारी कराते हुए जरूरी प्रबंध किए जाएंगे।

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