उत्तर-प्रदेश: हयात, बाबा और वसी के बैंक खाते खंगालने में जुटी एसआईटी, जेल में बंद अपराधी को भी बनाया आरोपी
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कानपुर नई सड़क बवाल से पहले संपत्ति बेचे जाने के साक्ष्य मिलने के बाद एसआईटी ने हयात, बाबा और वसी के बैंक खातों के ब्यौरा जुटाना शुरू कर दिया है। इससे पता चल सके कि खाते से रुपये कब और कितने निकाले गए, ताकि बवाल से जुड़े अन्य बिंदुओं की जांच की जा सके। एसआईटी ने कोर्ट में जो पर्चे दाखिल किए हैं। उसमें कहा गया है कि उपद्रवियों को एक हजार से पांच हजार रुपये देकर तैयार किया गया था।
मंगलवार को प्रकाश में आया कि हाजी वसी और हयात ने उपद्रव से पहले अपनी करीब डेढ़ करोड़ की संपत्ति बेच दी थी। आरोप है कि उस रकम से तीनों ने उपद्रव के लिए प्रयोग किया था। इससे पूर्व एसआईटी ने हयात के खातों की जांच की थी, लेकिन उसमें ज्यादा लेन देन सामने नहीं आया था। अब नए तथ्यों के सामने आने के बाद ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर आनंद प्रकाश केआदेश पर एसआईटी ने बाबा, हयात और वसी के बैंक खातों की जानकारी एकत्रित करने में जुट गई है।
सूत्रों के अनुसार हाजी वसी ने जेल जाने से पहले पुलिस को एक निजी बैंक में खाता होने की जानकारी दी थी। जबकि हयात, बाबा और वसी आधा दर्जन से अधिक बैंक खातों से लेन देन का काम करते थे। एसआईटी इन तीनों के साथ उनके परिवार के भी बैंक खातों का ब्यौरा जुटा रही है।
जेल में बंद अपराधी को भी बनाया गया बवाल का आरोपी
सूत्रों के अनुसार नई सड़क बवाल में पुलिस ने कई हिस्ट्रीशीटरों को नामजद आरोपी बनाया था। जिसमें ज्यादातर डीटू गैंग के हिस्ट्रीशीटर शामिल हैं। इनके ऊपर पुलिस पर फायरिंग और बमबाजी करने का आरोप है। पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर में 34 लोग नामजद किए गए थे।
कर्नलगंज निवासी हिस्ट्रीशीटर शाहिद पिच्चा के बहनोई जिशान की जमानत होने की बात सामने आई है। सूत्रों के अनुसार जिशान पुराने मामले में जेल में बंद था, पर कार्रवाई की जल्दबाजी में पुलिस ने उसे भी नामजद कर दिया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जो शख्स पहले से ही जेल में बंद है व बवाल में कैसे शामिल हो सकता है।
दरअसल पुलिस ने जिशान एवेंजर और जिशान नाम के दो युवकों को आरोपी बनाया गया है। इसमें जिशान हिस्ट्रीशीटर शाहिद पिच्चा का बहनोई है, जिसे पुलिस ने आरोपी बनाया है। अगर वाकई ऐसा है, तो ये बड़ी चूक है कि पुलिस ने जल्दबाजी बिना जांच के ही हिंसा में लोगों को आरोपी बना दिया है। इसका फायदा बाद में इन लोगों को कोर्ट से मिल सकता है। सूत्रों के अनुसार हाजी वसी ने जेल जाने से पहले पुलिस को एक निजी बैंक में खाता होने की जानकारी दी थी। जबकि हयात, बाबा और वसी आधा दर्जन से अधिक बैंक खातों से लेन देन का काम करते थे। एसआईटी इन तीनों के साथ उनकेपरिवार के भी बैंक खातों का ब्यौरा जुटा रही है।