उत्तर-प्रदेश: मरीजों को मर्ज दे रहा दर्द, फिर भी मिल रही तारीख पर तारीख

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Update: 2022-07-07 17:25 GMT
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑपरेशन, सिटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड और एमआरआई की लंबी वेटिंग है। मर्ज लगातार दर्द दे रहा है, फिर भी मरीजों को तारीख पर तारीख मिल रही है। सबसे ज्यादा दिक्कत हड्डी और सर्जरी विभाग के मरीजों को हो रही है। सर्जरी के मरीजों को ऑपरेशन के लिए एक सप्ताह का इंतजार करना पड़ रहा है।
15 दिनों से मरीज भर्ती, नहीं हो सका ऑपरेशन
हड्डी रोग विभाग में पिछले 15 दिनों से करीब 10 मरीज भर्ती हैं, जिनका ऑपरेशन नहीं हो पा रहा। किसी मरीज का घुटना बदलना है तो किसी का कूल्हा टूटा है। सब दर्द से कराह रहे हैं, लेकिन ऑपरेशन फंसा है। मजबूरी में दर्द की गोली खाकर पड़े हैं। बताया जा रहा है कि ऑपरेशन के बाद जिन बेडों पर मरीजों को रखा जाता है, वह खाली नहीं हैं। जिन मरीजों का पहले ऑपरेशन किया गया था, उनका उपचार किया जा रहा है। जब मरीज डिस्चार्ज होंगे, तब नए मरीज का ऑपरेशन किया जाएगा।
ओपीडी के मरीज 55वें दिन कराएं अल्ट्रासाउंड
मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में दिखाने वाले मरीजों को अल्ट्रासाउंड कराने के लिए 55 दिन आगे का समय दिया जा रहा है। जो मरीज बुधवार को दिखाने आए थे, उन्हें 30 अगस्त को बुलाया गया है। आईपीडी के गंभीर मरीजों का अल्ट्रासाउंड तत्काल किया जा रहा है। हालांकि, आईपीडी के तमाम मरीजों को भी अल्ट्रासाउंड के लिए एक-एक सप्ताह का इंतजार करना पड़ रहा है।
सिटी स्कैन के लिए भी लंबी लाइन
सिटी स्कैन के लिए भी मरीजों को तारीखें मिल रही हैं। प्रतिदिन 30 से 40 मरीज लौटाए जा रहे हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 15 से 20 मरीजों का ही सिटी स्कैन हो पा रहा है। मेडिकल कॉलेज में सिटी स्कैन के लिए मरीजों को केवल 600 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। जबकि, निजी पैथालॉजी में इसी जांच के लिए 1200 से 1500 रुपये वसूले जाते हैं।
एमआरआई कराने वाले 50 से 60 मरीज रोज लौट रहे
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एमआरआई के कराने आने वाले 50 से 60 मरीज निराश होकर लौट रहे हैं। इन मरीजों को एक से डेढ़ माह बाद एमआरआई के लिए बुलाया जा रहा है। जुलाई में इलाज कराने आए और एमआरआई की सलाह पाने वाले 25 से ज्यादा मरीजों को अगस्त में बुलाया गया गया है। मजबूरी में परिजन निजी पैथालॉजी सेंटर से एमआरआई करा रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, एमआरआई कराने की सलाह उन्हीं मरीजों को दी जाती है, जिन्हें चलने- फिरने में दिक्कत या फिर कोई और गंभीर समस्या होती है। न्यूरो से संबंधित समस्याएं भी होती हैं। अगर मेडिकल कॉलेज के भरोसे मरीज रहेंगे तो उनका मर्ज व दर्द और बढ़ जाएगा।
मेडिकल कॉलेज में सस्ती, बाहर महंगी जांच
मेडिकल कॉलेज में एमआरआई की जांच 2,500 और बाहर 4,500 रुपये में होती है। एक मरीज की एमआरआई में 40-45 मिनट का वक्त लगता है। ऐसी स्थिति में प्रतिदिन 15-16 एमआरआई हो पाती है। जबकि, 65-70 मरीज एमआरआई के लिए आते हैं।
26 बेड का आईसीयू, लौटाए जा रहे 20 से 25 मरीज
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आईसीयू के कुल 26 बेड हैं। सभी बेड हमेशा फुल रहते हैं। यही वजह है कि प्रतिदिन 20 से 25 गंभीर मरीज लौटाए जा रहे हैं। सुपर स्पेशियलिटी सेवा शुरू होने के बाद मरीजों की संख्या और बढ़ गई है। यही कारण है कि न्यूरो, ह्दय रोग और यूरोलॉजी के मरीज लखनऊ रेफर करने पड़ रहे हैं।
हर दिन 250 से अधिक की ओपीडी, 15 से अधिक मरीज होते हैं भर्ती
हड्डी रोग विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन 250 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें पांच से 10 मरीजों को भर्ती कर ऑपरेशन की सलाह दी जाती है। जबकि, वार्ड में 90 बेड हैं। वहीं, इमरजेंसी की बात करें तो सबसे अधिक मरीज हड्डी विभाग के रहते हैं। इमरजेंसी में 10 से 15 मरीज प्रतिदिन भर्ती होते हैं। इमरजेंसी और ओपीडी के मरीजों को जोड़ दिया जाए तो प्रतिदिन 20 से 25 मरीज ऑपरेशन के लिए आ रहे हैं। इन मरीजों में बिहार, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, बस्ती, देवरिया, मऊ जैसे जिलों के शामिल हैं।
प्रतिदिन होती है 4500 से पांच हजार की ओपीडी
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 20 से अधिक विभागों की ओपीडी चलती है। कुल ओपीडी की बात करें तो इनकी संख्या 4500 से पांच हजार के आसपास है। वहीं, इमरजेंसी के ट्रॉमा सेंटर की बात करें तो प्रतिदिन 70 से 80 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। इनमें 15 से 20 मरीजों को प्रतिदिन हायर सेंटर रेफर करना पड़ रहा है।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार ने कहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में प्राथमिकता के आधार पर मरीजों का ऑपरेशन और जांच की जा रही है। इमरजेंसी में आने वाले मरीज गंभीर होते हैं, ऐसे में प्राथमिकता के आधार पर उनका इलाज किया जाता है। मरीजों की स्थिति के अनुसार विभाग के डॉक्टर ऑपरेशन करते हैं। गंभीर मरीजों को पहले देखा जाता है।
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