उत्तर प्रदेश: एक सं‌क्षिप्त कार्यक्रम में इनर व्हील क्लब ने 13 क्षय रोगियों को गोद लिया

Update: 2022-03-30 13:47 GMT

सिटी न्यूज़: पीपीसी कोठीगेठ स्थित टीबी यूनिट में आयोजित एक सं‌क्षिप्त कार्यक्रम के दौरान बुधवार को इनर व्हील क्लब ने 13 क्षय रोगियों को गोद लिया है। क्लब ने उपचार जारी रहने तक इन रोगियों की देखभाल और पोषक आहार उपलब्ध कराने का जिम्मा लिया है। इस मौके पर क्लब की चेयरपर्सन डा. अंजना सक्सेना और जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने इन सभी क्षय रोगियों को पोषाहार वितरित किया और उन्हें मिल रहे उपचार के साथ-साथ घर परिवार के बारे में भी विस्तार से जानकारी ली। क्षय रोगियों को गोद लेने वाली संस्थाओं और गणमान्य नागरिकों को उनका उपचार जारी रहने तक हर माह पोषाहार उपलब्ध कराने के साथ ही यह भी देखना है कि उनका उपचार सुचारू रूप से चलता रहे और जल्द ही संक्रमण को मात देकर वे भी सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें।

डीटीओ ने बताया राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के आव्हान पर पिछले वर्ष नाबालिग क्षय रोगियों को विभिन्न संस्थाओं ने गोद लेकर उनकी देखरेख करते हुए भावनात्मक सहयोग प्रदान किया और पोषाहार उपलब्ध कराया। इस पहल के चलते टीबी संक्रमण से लड़ रहे बच्चों को बड़ी मदद मिली और सकारात्मक नतीजे सामने आए। दरअसल क्षय रोगियों को रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए बेहतर खानपान की जरूरत होती है। इस वर्ष शासन की ओर से हर आयु वर्ग के अधिक से अधिक क्षय रोगियों को इस पहल से जोड़ने के निर्देश मिले हैं। उन्होंने बताया क्षय रोगियों को गोद लेने के लिए लगातार संस्थाएं आगे आ रही हैं और क्षय रोग विभाग के साथ मिलकर क्षय उन्मूलन कार्यक्रम का हिस्सा बन रही हैं।

डा. राजेश सिंह ने बताया अन्य बीमारियों की ही तरह क्षय रोग भी एक बीमारी है। इसे छिपाने की जरूरत नहीं है। नियमित उपचार से टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। देश को क्षय रोग मुक्त करने के लिए जरूरी है कि संक्रमण की शुरूआत में ही उपचार शुरू हो जाए, इसके लिए विभाग सक्रिय क्षय रोगी खोज (एसीएफ) अभियान चलाता है। दरअसल फेफड़ों की टीबी संक्रामक रोग है, हर साल एक रोगी 12 से 15 लोगों को सांस के जरिए टीबी का संक्रमण दे देता है, उपचार शुरू होने के दो माह बाद इसकी आशंका न के बराबर रह जाती है। इसलिए क्षय रोगी को खुले हवादार स्थान पर रहने और खांसते व छींकते वक्त मुंह को ढंककर रखने की सलाह दी जाती है।

क्षय रोगियों को दिया जा रहा पोषाहार:

- एक किलो मूंगफली

- एक किलो भुना चला

- एक किलो गुड़

- एक किलो सत्तू

- एक किलो तिल/ गजक

- एक किलो पोषण सप्लीमेंट

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