उत्तरप्रदेश: हॉस्पिटल की तीसरी मंजिल से कूदकर दे दी जान, पुलिस ने छात्र के कमरे से सुसाइड नोट बरामद किया
अपनी मौत के लिए खुद को जिम्मेदार बताया
जनता से रिस्ता वेबडेस्क: जौनपुर के रामपुर थाना क्षेत्र के खेमापुर (दुबेपुर) निवासी रंजीत कुमार (22) ने शुक्रवार को कानपुर स्थित एक हॉस्टल की तीसरी मंजिल से कूदकर जान दे दी। वह एक साल से वहां रहकर नीट की तैयारी कर रहा था और पिछले 20-25 दिन से अवसादग्रस्त था। घटना की जानकारी के बाद मां का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। ग्राम प्रधान व परिजनों परिजनों के विलंब से पहुंचने के कारण पोस्टमार्टम शनिवार को कराया जाएगा। रंजीत चार भाइयों में सबसे छोटा था। उसके सबसे बड़े भाई कन्हैया दिल्ली में, अनिल और रोशन मुंबई में निजी कंपनी में काम करते हैं। रंजीत पढ़ने में अच्छा था। परिजन उसे डॉक्टर बनाने का सपना देख रहे थे। इसलिए उसे नीट की तैयारी करने कानपुर भेजा था।
कानपुर के कल्याणपुर थाना क्षेत्र के हितकारी नगर में पी ब्लॉक मस्जिद वाली गली में तीन मंजिला हॉस्टल में रहकर वह पढ़ाई कर रहा था। ग्राम प्रधान नंदलाल यादव ने बताया सुबह साढ़े आठ बजे पुलिस से सूचना मिली कि रंजीत ने हॉस्टल की तीसरी मंजिल से कूद कर आत्महत्या कर ली है।
अपनी मौत के लिए खुद को जिम्मेदार बताया
पुलिस ने छात्र के कमरे से सुसाइड नोट बरामद किया है। जिसमें उसने अपनी मौत के लिए खुद को जिम्मेदार बताया है और बड़े भाइयों और मां से माफी मांगी है। उसने क्रिया कर्म बौद्ध रीति रिवाज से करने को कहा है। शनिवार को पोस्टमार्टम के बाद परिजन शव को घर ले आएंगे।
रंजीत ने दो पन्ने के सुसाइड नोट में लिखी हैं बातें
कानपुर पुलिस ने रंजित के कमरे से दो पन्ने का सुसाइड नोट भी मिला है। 20 बिंदु वाले इस सुसाइड नोट में रंजीत ने अपने मोबाइल नंबर, गूगल पे और एटीएम का पासवर्ड लिखा है। लिखा है कि उसमें 3300 रुपये हैं। ग्राम प्रधान के मुताबिक, जो सुसाइड नोट मिला है उसमें रंजित ने लिखा है कि मैं अपनी मौत के लिए स्वयं जिम्मेदार हूं।
इसके लिए मुझे कोई परेशान नहीं किया या दबाव नहीं डाला है। मैं चार-पांच माह से बहुत ज्यादा परेशान था। 20-25 दिनों के अंदर इतना ज्यादा डिप्रेशन में था कि अपने आप को संभाल नहीं पा रहा हूं। इसके लिए किसी व्यक्ति को परेशान न किया जाए, मैं इस जीवन से बहुत घुटन सा महसूस कर रहा हूं।
मैं वैसे तो भूत प्रेत आत्माओं जैसे कोई पाखंड को नहीं मानता, लेकिन मैं यह जरूर मानता हूं कि कोई ऐसी शक्ति है, जिससे पूरा संसार चलता है। मैं बचपन से चांद तारों को देखता और उसी के ख्वाबों में खोया रहता था कि कब मैं चांद तारों के पास जाऊंगा और उनके बीच खेलूंगा।
मैं जहर या कोई ऐसी रासायनिक तत्व का उपयोग करके नहीं मरना चाहता, क्योंकि मैं डॉक्टर तो नहीं बन पाया लेकिन हो सकता है मेरे अंगों से किसी का जीवन बच सकता है। अपने पूरे परिवार से माफी चाहता हूं। तीनों भाइयों से निवेदन करता हूं कि मम्मी का देखभाल सही से करना। मैं सोचा था कि मैं अपने मम्मी को अच्छी तरह से देखभाल करूंगा, लेकिन, ऐसा नहीं हो पाया। मैं अपनी बात किसी को सही से नहीं बता पाया।