गनेशपुर (बाराबंकी)। चार जिलों को जोड़ने वाले संजय सेतु के ज्वाइंटर में फिर दरार आ गई। इससे सोमवार को जहां पूूरे दिन पुल पर वाहन रेंगते रहे वहीं बड़े खतरे के संकेत के बावजूद शाम तक मरम्मत का कार्य शुरू नहीं हो सका था। दरार इतनी बड़ी थी कि ज्वाइंटर की सरिया ऊपर से साफ दिखाई दे रही थी। कई वाहन हादसे का शिकार होते बचे। मगर आवागमन को लेकर कोई जिम्मेदार न तो वाहनों को पास कराने पहुंचा और न ही उसके मरम्मत की शुरुआत हो सकी। यह हालत तब है जब दो महीने पहले ही संजय सेतु की मरम्मत कर ठीक होने का दावा किया गया था।
लखनऊ-गोंडा हाईवे पर बहराइच और बाराबंकी के सीमाओं को जोड़ने वाले सरयू तट पर बने संजय सेतु पर प्रतिदिन हजारों छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं। गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती से लेकर नेपाल तक यात्री निकलते हैं। सोमवार को सेतु के एक ज्वाइंटर में दरार आ गई। कई दिनों से प्लास्टर उखड़ जाने के कारण रविवार को उसमें सरिया दिखाई पड़ने लगी थी।
सोमवार को कई वाहन सरिया से बचने के लिए हादसे का शिकार होते-होते बचे। पूरे दिन पुल पर धीमी गति से निकलने के लिए वाहनों की कतारें भी लगी रहीं। मगर शाम तक कोई जिम्मेदार अफसर न तो उसकी मरम्मत शुरू कराने आया और न ही वाहनों को सुचारु रूप से सुरक्षित निकलने के लिए जानकारी देने की जहमत उठाई। यह हालात तब हैं जब अभी बीते 20 अप्रैल को ही सेतु के ज्वाइंटरों में दरार आयी थी।
इसके परिणामस्वरूप काफी देर तक जाम के चलते आवागमन बाधित रहा था। करीब दो माह बाद एक बार फिर इस सेतु के एक ज्वाइंटर में दरार आने और प्लास्टर उखड़ने से आवागमन पर खतरा बढ़ गया है। इस संबंध में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के रेजिडेंट इंजीनियर प्रमोद यादव ने बताया कि ज्वाइंटर का सिर्फ प्लास्टर उखड़ा है। जल्द ही मरम्मत कार्य कराया जाएगा। ऐसी कोई गंभीर बात नहीं है।
छह साल में पांच बार हो चुकी है मरम्मत
वर्ष 2017 में इस सेतु का पिलर धंसने पर मरम्मत हुई थी। उसके अगले ही साल 2018 में फिर सेतु का पिलर करीब चार इंच तक धंस गया था। फरवरी 2021 में संजय सेतु के आठ जोड़ों में दरार आने पर मरम्मत की गई थी। तब जाम के हालात पैदा हुए थे।
इसके बाद जुलाई 2021 में भी ज्वाइंटरों में दरार आने पर मरम्मत की गई थी। वहीं इस साल जनवरी में भी सेतु के एक्सपेंशन ज्वाइंट में दरार आ गई थी। इसके दो महीने बाद 20 अप्रैल को फिर मरम्मत कार्य चला था। अब 11 जुलाई को इस ज्वाइंटर का प्लास्टर उखड़ने से स्थिति अच्छी नहीं लग रही है।
41 वर्ष पुराना है संजय सेतु
करीब 41 वर्ष पहले 9 अप्रैल 1981 को संजय सेेतु की आधार शिला तत्कालीन मुुख्यमंत्री वीपी सिंह ने रखी थी। उस समय लखनऊ-बाराबंकी समेत आसपास के कई अन्य जिलों का सबसे लंबा सेतु था। इस पर प्रतिदिन हजारों वाहनों का आवागमन हो रहा है और अब धीरे-धीरे यह सेतु बूढ़ा हो चला है।