उत्तर-प्रदेश: भाजपा ने किया गृह-संपत्ति कर का बहिष्कार

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Update: 2022-07-16 13:05 GMT
नगर निगम द्वारा बढ़ाया गया गृह व संपत्ति कर (टैक्स) का मुद्दा गर्माया हुआ है। हर तरफ विरोध के स्वर उठ रहे हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को भाजपा ने इस बढ़े हुए गृह-संपत्ति कर के बहिष्कार का एलान किया है और जनता का आह्वान किया है कि कोई भी बढ़ा हुआ गृह-संपत्ति कर जमा न करे। नगर निगम ने नियमों को दरकिनार कर व अफसरों ने मनमानी कर टैक्स बढ़ाया है। लोगों से आपत्तियां दर्ज कराने की अपील की है। कहा है कि आपत्तियां दर्ज कराने में भाजपा के पार्षद व कार्यकर्ता सहयोग करेंगे।
भाजपा जिला कार्यालय पर सांसद, विधायकों, पार्षदों व महानगर अध्यक्ष आदि की मौजूदगी में हुई प्रेसवार्ता में गृह-संपत्ति कर के बहिष्कार का सामूहिक एलान किया गया। इस दौरान कहा गया आरटीआई के तहत तमाम जानकारियां ली गई हैं, जिनमें नियमों की अनदेखी साफ उजागर हो रही है। इसके अलावा, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 25 दिसंबर 2021 को नगर निगम बोर्ड बैठक में कर संबंधी आपत्तियों पर बहस के बाद महापौर स्तर से तय हुआ था कि अपर नगर आयुक्त अरुण कुमार गुप्त की अध्यक्षता में कमेटी बनेगी। यह कमेटी विषय-वस्तु तय करेगी, मगर इस कमेटी में सिर्फ दो बैठकें हुईं और बिना किसी चर्चा व बिना कमेटी के निर्णय के ही अधिकारियों ने हठधर्मिता के साथ इसे लागू कर दिया गया।
साक्ष्य पेश करते हुए नेताओं ने बताया कि यह अधिकारियों की मनमानी है। शासन के नियमानुसार कर निर्धारण में नियमों की अनदेखी करने वाले अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। ऐसे अधिकारियों के विषय में शासन को सूचना भेजी जाएगी। साथ ही, जनता का उत्पीड़न नहीं होने दिया जाएगा। आपत्तियां निस्तारित होने तक किसी का जबरन गृह कर नहीं जमा करने दिया जाएगा।
इस मौके पर सांसद सतीश गौतम, विधायक मुक्ता संजीव राजा, विधायक अनिल पाराशर, पूर्व विधायक संजीव राजा, महानगर अध्यक्ष विवेक सारस्वत, पार्षद दल के नेता वीरेंद्र सिंह, डॉ. मुकेश शर्मा, कुलदीप पांडेय, डॉ. दिनेश शर्मा, लतेश चौधरी, दिनेश गुप्ता, पंकज सक्सेना, पूरन दिवाकर, वैभव गौतम, क्षेत्र मंत्री अनीता जैन, हिमांशु शर्मा, मीनेश भारद्वाज, युवा मोर्चा पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश सिंह आदि मौजूद रहे।
भाजपा जनता के साथ, हमारे मेयरों ने नहीं किया छलावा
यहां सांसद, विधायकों व पार्षदों ने पुराने दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि इन दिनों नगर निगम जनता के साथ छलावा कर रही है, मगर भाजपा जनता के साथ है। हमारे भी मेयर रहे हैं। तत्कालीन मेयर आशुतोष वार्ष्णेय के समय के प्रपत्र पेश करते हुए बताया कि उस समय कर निर्धारण प्रक्रिया में जनता से सुझाव मांगे गए थे। तब कर बढ़ाए गए थे। एक सवाल पर यहां कहा कि यह चुनावी मुद्दा नहीं है। हम जनता के साथ हैं।
ऐसे किया कर निर्धारण
- नए कर निर्धारण में 2017 से 2022 तक की बढ़ी हुई राशि वसूली जा रही है।
- 2021-2022 तक का पूर्ण भुगतान करने वालों को बकाया बताकर बिल जारी।
- जुलाई 2022-23 सेे सभी बिलों में यह कर कई गुना बढ़ाकर दिखाया गया है।
- ये हैं नियम और अनदेखी -
- 2022-23 में बढ़ाए गए बिल पर आपत्ति का अधिकार, निस्तारण के बाद नया बिल नए वर्ष से।
- नियम 213/6 के तहत नोटिस के जरिये प्रत्येक करदाता को नोटिस से कर बढ़ाने की सूचना दें।
- नोटिस मिलने के 30 दिन के अंदर करदाता उत्तर दे। लिखित रूप में करदाता को बुलाया जाएगा।
- नियत अधिकारी द्वारा निस्तारण के बाद नए वित्तीय वर्ष से ही निस्तारित कर लागू किया जाएगा।
- नियम के अनुसार अग्रिम कर वसूला जाता है। इसलिए कोई भी करदाता बकायेदार नहीं होगा।
- नियम में कहीं भी प्रोविजनल बिल का प्रावधान नहीं, जबकि नगर निगम यह बिल भेज रहा है।
- 2013 में लागू शासनादेश का पालन 2017 तक न करने में नगर निगम के अधिकारी ही दोषी हैं।
ये है मनमानी-
- स्वत: कर निर्धारण की व्यवस्था को दरकिनार कर जीआई सर्वे कराकर घरों के कर निर्धारित किए गए, जबकि अधिकारी को भौतिक रूप से जाना चाहिए।
- 30 हजार घरों के प्रपत्र मिस मैच दिखाए जा रहे हैं, जिनका कोई ब्योरा नगर निगम के पास में क्यों नहीं है, वे कर दायरे में नहीं आ रहे हैं।
- शासनादेश में सिर्फ व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के कर में बढ़ोत्तरी का प्रावधान। उसमें भी मनमानी के लग रहे हैं आरोप।
- अपील/आपत्तिकर्ता पर निर्धारित फार्म पर हस्ताक्षर लेकर एक गलत तरीके से अनुबंध भरवाया जा रहा है, जो कि गलत है।
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