उत्तर-प्रदेश: महाधिवक्ता कार्यालय सील, मुकदमों की सुनवाई रही प्रभावित, अफसरों, कर्मचारियों के प्रवेश पर रोक
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महाधिवक्ता कार्यालय (अंबेडकर भवन) में आग लगने की घटना के बाद देर रात ही भवन सील कर दिया गया। साथ ही यहां सरकारी अधिवक्ताओं के साथ ही अफसरों व कर्मचारियों की प्रवेश पर 25 जुलाई तक रोक लगा दी गई। उधर घटना के चलते वादकारियों को कई तरह की परेशानियाें से रूबरू होना पड़ा।
अलग-अलग कोर्ट में सरकार की ओर से वादों की पैरवी न होने से सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। उधर नए मुकदमों में भी राज्य सरकार को नोटिस नहीं दिया जा सका। उधर घटना में भवन को पहुंचे नुकसान का आकलन करने के लिए एमएनएनआईटी की तकनीकी टीम से मदद मांगी गई। जिसके तहत एक टीम ने वहां पहुंचकर सर्वे भी किया। इस टीम की ओर से रिपोर्ट मिलने के बाद ही आगे का निर्णय लिया जाएगा।
उधर, वादों के सुचारू रूप से निस्तारण के लिए राज्य सरकार के आग्रह पर हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से जगह मुहैया कराने की भी बात कही जा रही है। महानिबंधक आशीष गर्ग ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से मदद मांगी गई है। हालांकि, इस पर अभी कोई आदेश नहीं आया है। मुख्य न्यायमूर्ति के आने के बाद ही इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। अभी वह शहर में नहीं हैं। उधर अदालतों ने भी राज्य सरकार को वैकल्पिक व्यवस्था बनाने का सुझाव दिया है।
सरकारी अधिवक्ता नहीं कर पाए पैरवी
उधर आग में फाइलों को नुकसान पहुंचने का असर सोमवार को देखने को मिला। सुबह 10 बजे कार्यवाही शुरू होने पर सरकारी अधिवक्ता कोर्ट में नजर आए लेकिन फाइलें न होने की वजह से वह संबंधित मामलों में पैरवी नहीं कर पाए। फाइलों की अनुपलब्धता की वजह से कोर्ट ने भी राज्य सरकार के खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश पारित नहीं किया और मामले की सुनवाई आगे के लिए टाल दी। हालांकि जिन केसाें में राज्य सरकार पक्षकार नहीं रही, उनमें कोर्ट ने सुनवाई की और आदेश भी पारित किया।
फिर पहुंची जांच टीम, दर्ज किए बयान
मामले की जांच के लिए गठित पांच सदस्यीय टीम सोमवार को दोबारा अंबेडकर भवन पहुंची। सदस्यों ने पांच घंटे तक बिल्डिंग के भीतर मौजूद रहकर निरीक्षण किया। साथ ही कार्यालय की देखरेख से जुड़े कर्मचारियों के बयान भी दर्ज किए।
अदालतों ने कहा, वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार करे प्रदेश सरकार
महाधिवक्ता कार्यालय सील होने के चलते मुकदमों की सुनवाई प्रभावित होने को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। न्यायपीठों ने केसों की सुनवाई के दौरान इस मामले में सरकारी अधिवक्ताओं से स्थिति की जानकारी ली। साथ ही वैकल्पिक व्यवस्था करने का सुझाव दिया। न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर व न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने इस मामले में अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से स्थिति की जानकारी ली। कहा कि वैकल्पिक व्यवस्था पर जरूर विचार किया जाए। जिससे वादकारियों की ओर से जारी नोटिस को प्रदेश सरकार ले सके और वादों की सुनवाई सामान्य ढंग से हो सके।
कोर्ट ने कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ विचार-विमर्श किया व उनसे सुझाव भी मांगे। कहा कि मंगलवार तक इस मामले में कुछ न कुछ हल निकाल लिया जाए। अपर महाधिवक्ता ने भी कोर्ट को आश्वासन दिया कि जल्दी ही हल निकाला जाएगा। खंडपीठ ने वादकारियों से भी कहा है कि वह अपने मुकदमों से संबंधित एक फाइल राज्य सरकार को मुहैया कराए। इसी तरह कई और कोर्टों ने भी सुझाव दिए।
उधर, हाईकोर्ट प्रशासन मुकदमों को सुनवाई को सामान्य बनाए रखने केलिए राज्य सरकार को कोर्ट संख्या 12 से लेकर 17 तक और उसका हाल, मध्यस्थता सेंटर केपास केहाल वैकल्पिक तौर पर मुहैया करा सकता है। जिससे कि नए मुकदमों की नोटिस लिया जा सके और उस पर राज्य सरकार की ओर से जवाब दिया जा सके। सरकारी अधिवक्ताओं के प्रवेश के लिए प्रवेश द्वार संख्या पांच, पांच (ए) को खोला जा सकता है। शासकीय अधिवक्ता शिव कुमार पाल ने बताया कि हाईकोर्ट प्रशासन मदद के लिए कहा है। इसके बाद तकनीकी टीम की रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। अगर महाधिवक्ता भवन में कामकाज करने का खतरा नहीं होगा तो दो-तीन दिनों में सफाई के बाद कामकाज सामान्यत: शुरू कर दिया जाएगा।