उत्तर-प्रदेश: 11 साल पहले हत्या के मामले में तीन भाइयों को उम्रकैद, साइकिल पर शव रख गांव में घुमाया था

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Update: 2022-07-06 17:28 GMT
भोपा थाना क्षेत्र के निरगाजनी गांव में 11 साल पहले अनुसूचित जाति के कर्मचंद की हत्या के अभियुक्त तीन सगे भाईयों को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। वारदात के बाद अभियुक्तों ने लाश को साइकिल से पूरे गांव में घुमाकर गंगनहर में डाल दिया था। विशेष न्यायाधीश एसटी/एसटी के पीठासीन अधिकारी जमशेद अली ने फैसला सुनाया।
विशेष लोक अभियोजक यशपाल सिंह और सहायक शासकीय अधिवक्ता सहदेव सिंह ने बताया कि अनुसूचित जाति का किसान कर्मचंद 26 अप्रैल 2011 को खेत पर गया था। रंजिश के चलते गांव के ही अमरेश पक्ष के लोगों ने उसे घेर लिया। बचाव के लिए कर्मचंद बरातघर की छत पर चढ़ गया। हमलावरों ने छत पर चढ़कर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी और शव को छत से नीचे फेंक दिया। इसके बाद लाश को साइकिल पर रखकर पूरे गांव में घुमाया और ग्रामीणों को धमकाया। लाश को ट्रैक्टर पर रखकर भोपा गंगनहर में फेंक दिया गया था।
मृतक के भाई कर्मवीर ने गांव के ही सगे भाई अमरेश, धनपाल, रमेश उर्फ प्रधान समेत आठ आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। जानसठ के तत्कालीन सीओ जवाहर लाल ने विवेचना कर आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। प्रकरण की सुनवाई विशेष न्यायाधीश एसटी/एसटी के पीठासीन अधिकारी जमशेद अली ने की। तीनों मुख्य आरोपियों को अदालत ने धारा 302 में उम्रकैद और प्रत्येक पर अर्थदंड लगाया है। पांच अभियुक्तों को दोषमुक्त किया गया है।
क्या था मामला
विशेष लोक अभियोजक यशपाल सिंह ने बताया कि अनुसूचित जाति के कर्मचंद की गांव के ही मदन पक्ष के साथ मुकदमेबाजी की रंजिश चली आ रही थी। इसी वजह से मदन पक्ष के समर्थन में अभियुक्त अमरेश अपने परिवार के साथ आया और हमला कर सनसनीखेज वारदात अंजाम दी थी।
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