यूपी : चार पीढ़ियों से निशानेबाजी में नाम कमा रहा है यूपी का ये परिवार

Update: 2023-08-30 17:03 GMT
उत्तरप्रदेश: इस कुनबे में बच्चों को खिलौनों से अधिक प्यार गन से है। उनका वक्त स्कूल के बाद किसी चीज पर सबसे अधिक बीतता है तो वह हैं उनकी बंदूकें। चौंक गए न.... जी हां, यह किसी फिल्मी परिवार की चटपटी कहानी नहीं बल्कि निशानेबाजों के एक परिवार की अनूठी दास्तां है। यह परिवार पिछली चार पीढ़ियों से निशानेबाजी में नाम कमा रहा है। बिना शूटिंग रेंज के इतिहास रचने का माद्दा रखने वाले इस परिवार में पुरुष ही नही महिलाएं भी निशानेबाज हैं। हाल में ही पिता-पुत्र ने एक साथ गोल्ड जीता है।
दिल्ली में हाल में ही आयोजित 20वीं प्री स्टेट शूटिंग प्रतियोगिता में अशरफ इकबाल ने वैटर्न कैटेगरी में सोने पर निशाना साधा तो बेटे अदीब अहमद भी पीछे नहीं रहे। दोनों ने अपने अपने वर्गों में गोल्ड मेडल जीता। अदीब इसके बाद स्टेट प्रतियोगिता में भी स्वर्ण जीतने में कामयाब रहे। भोपाल में इसी साल 16 अगस्त से आयोजित ऑल इंडिया ओपेन ट्रैप शूटिंग में अदीब ने 39वीं रैंक पाकर नेशनल का भी टिकट कटा लिया है। अब इंतजार अक्टूबर में होने वाली नेशनल प्रतियोगिता का है जिसमें अदीब अहमद निशाना साधेंगे। यह तब है जब मुरादाबाद में निशानेबाजी की कोई ट्रेनिंग नहीं होती। यहां कोई शूटिंग रेंज भी नहीं है। प्रैक्टिस करने के लिए बरेली और दिल्ली जाना पड़ता है। इसके बाद भी इस परिवार में शूटिंग के प्रति जज्बा बरकरार है। इस परिवार के निशानेबाजों को ट्रैप शूटिंग में महारथ है। ट्रैप शूटिंग में निशानेबाजी काफी कठिन मानी जाती है। कंप्यूटर से आर्टीफीशियल बर्ड उड़ा कर उस पर निशाना साधना होता है। यह निशाना बारह बोर की गन से लगाया जाता है।
इकबाल ने निशानेबाजी में हमेशा बुलंद रखा इकबाल
पचास के दशक में जब गिने चुने असलहे होते थे, उस वक्त मुरादाबाद के एसएम इकबाल का नाम ऊपर था। एक जुमला था कि उनका निशाना कभी इकबाल नहीं खोता। उनके बच्चे क्या, पोते परपोते सभी को शौक ने निशानेबाज बना दिया। नब्बे साल की उम्र में एसएम इकबाल मई 2019 में दुनिया को अलविदा कह गए पर उम्र के अंदिम दिनों में भी उनका निशाना अचूक था। 2016 में आखिरी बार उन्होंने वेटरन मुकाबले में कांस्य पदक जीता था।
परिवार को विरासत में मिली निशानेबाजी
एमएम इकबाल के परिवार के ज्यादातर सदस्य निशाना लगाने में माहिर हैं। बेटियां भी इस परिवार में गन से ही खेलना सीखती हैं। मुरादाबाद में पहले शूटिंग रेंज जिगर कालोनी में हुआ करती थी। इकबाल अपने बेटों को वहीं प्रैक्टिस के लिए ले जाते थे। उनके बेटे अशरफ बताते हैं कि बड़े भाई अफजाल व औसाफ और छोटे भाई सरताज भी निशानेबाज हैं। तीन बहनों में बड़ी बहन राबिया को छोड़ कर शाहीन अख्तर और परवीन अख्तर भी जिला स्तरीय निशानेबाजीं में अपना जलवा दिखा चुकी हैं। पुत्र वधु शाइस्ता भी .22 की जिला स्तरीय खिलाड़ी रही हैं।
शूटिंग में परपोते भी कर रहे अपने दादा का नाम रोशन
तीसरी पीढ़ी में इकबाल अहमद के पोते इस्लाम अहमद ट्रैप शूटर रहे हैं। असद, अरशद, अदीब और बिलाल अहमद भी नेशनल ट्रैप शूटर हैं। कई बार मेडल जीत कर नाम रोशन कर चुके हैं। मुरादाबाद में शूटिंग रेंज नहीं होने पर प्रतियोगिता से पहले वे दिल्ली जाकर शूटिंग रेंज में प्रैक्टिस करते हैं। चौथी पीढ़ी में इस्लाम के बेटे अखलद अहमद अभी 20 वर्ष के हैं लेकिन नेशनल प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुके हैं। अदीब का बेटा अभी तीन साल का है लेकिन अभी से गन ही उसका प्रिय खिलौना है।
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