यूपी के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद हुए अदालत में पेश, हुए थे वारंट जारी
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प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने हाजिर होकर कोर्ट आदेश के अनुपालन का हलफनामा दाखिल किया। कोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह के खिलाफ अवमानना आरोप निर्मित करने के लिए जमानती वारंट जारी किया था और डीजीपी को प्रमुख सचिव गृह की उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने प्रमुख सचिव न्याय पी.के. श्रीवास्तव व अन्य पुलिस अधिकारी को भी अगली सुनवाई के समय हाजिर रहने का निर्देश दिया था। जिस पर सभी हाजिर हुए। यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने सुरेश चंद्र राजवंशी की अवमानना याचिका पर दिया है। हाईकोर्ट ने 10 नवम्बर 21 के आदेश से याची को तीन माह का इंक्रीमेंट व प्रशिक्षण अवधि को सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करने में जोड़ने का आदेश दिया था। मौका दिए जाने के बावजूद आदेश का पालन नहीं किया गया तो कोर्ट ने जमानती वारंट जारी कर तलब किया था।
कोर्ट ने कहा कि पुलिस व शिक्षा विभाग आदेश का अनुपालन नहीं करते। एक अधिकारी दूसरे अधिकारी पर जिम्मेदारी थोप व्यर्थ की मुकदमेबाजी में उलझाए रखता है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ऐसा तंत्र विकसित करे जिससे व्यर्थ की मुकदमेबाजी न हो। कोर्ट में दोनों अधिकारी मौजूद रहे। कोर्ट ने जवाबी हलफनामे की ड्राफ्टिंग को लेकर भी कोर्ट में उपस्थित प्रमुख सचिव विधि से सवाल किए। यह भी कहा कि आदेश के खिलाफ देरी से अपील दाखिल होती है। एक केस में अपील खारिज होने के बाद याचिका में पारित आदेश पर पुनर्विलोकन की अर्जी दाखिल कर आदेश पालन न करने का सहारा लिया। अधिकारी सामान्य तौर पर आदेश का पालन करने से कतराते हैं। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा शासन को आदेश की जानकारी देने में देरी होने से बड़े अधिकारियों को परेशानी होती है। जानकारी मिलने पर आदेश का पालन किया जाता है। मुख्य सचिव की बैठक में भी आपसी तालमेल बैठाकर कोर्ट आदेश का समय से पालन करने का आग्रह किया गया है। कोर्ट ने कहा एक तंत्र विकसित करें ताकि कोर्ट में गैर जरूरी मुकदमे दाखिल न हों।