लखनऊ: यूपी सरकार ने पशुपालन विभाग में दवाओं व उपकरणों की खरीद में 50 करोड़ के घपले की जांच के आदेश दिए हैं। पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने 3 दिन में जांच रिपोर्ट तलब की है। 'जनता से रिश्ता' ने सोमवार को यूपी में पशुओं के इलाज की दवाएं फेल होने व उपकरण खरीद में घपले का खुलासा किया था। मंत्री धर्मपाल ने बताया, खबर का संज्ञान लिया गया है। उन्होंने कहा, प्रकरण वर्ष 2021 का है। अपर मुख्य सचिव पशुपालन डॉ. रजनीश दुबे को तत्काल जांच कमेटी बनाने के निर्देश दिए हैं। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
विभाग ने भी एक महीने में मांगी थी जांच रिपोर्ट: सूत्रों ने बताया, पशुपालन विभाग में विशेष सचिव देवेंद्र कुमार पांडेय ने भी विशेष सचिव समन्वय विभाग रामसहाय यादव से दवा व उपकरण खरीद में घपले की जांच रिपोर्ट एक महीने में सौंपने को कहा था। राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 2021-22 में वस्तुओं व सामग्रियों की खरीद मेंं अनियमितताओं के खुलासों पर जांच के निर्देश दिए थे।
संभल में भी पशुओं के इलाज के नाम पर खपाई गईं घटिया दवाएं: नियमों को ताक पर रखकर पशुपालन विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश में महंगे उपकरणों और अधोमानक दवाओं की खरीद के घपले का असर संभल जिले पर भी पड़ा है। जिले के बेजुबान पशुओं के इलाज के नाम पर भी अधोमानक दवाएं खपाई गई हैं। इस मामले में करीब 50 करोड़ के घपले की बात सामने आने पर अब शासन ने इन दवाओं के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। पशुपालन विभाग के सूत्र बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में इन दवाइयों, इंजेक्शन और उपकरणों की संभल में आपूर्ति की गई थी। जिले में 18 आइलसालाइनर रेफ्रिजरेटर और आठ एक्टिव कोल्ड बॉक्स आए थे। सारे मामले से अंजान विभागीय अधिकारियों ने इन्हें इस्तेमाल करने के लिए ब्लॉक स्तरीय तथा जिले के अन्य पशु चिकित्सालयों में आवश्यकता के अनुसार भिजवा दिया था।
इनमें से चार आइलसालाइनर रेफ्रिजरेटरों का अभी इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है। ये जिला स्तरीय कार्यालय में रखे हैं। इसके अलावा अधोमानक पाई गईं दवाओं में शामिल डोरामेक्टिन इंजेक्शन, फेनबेंडाजोल और आइवर मेक्टिन बोलस (फेंडामेक्ट), हल्क्यूनॉल बोलस, अल्बेंडाजोल बोलस (वेट) की संभल में आपूर्ति हुई थी।