उत्तर प्रदेश पांच साल के अंदर नंद बाबा दूध मिशन के तहत डेयरी सेक्टर में नए निवेश के लिए भी कई प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने अपनी नई पालिसी बनाई गई है। इसमें अनके प्रकार के इनसेंटिव देने और जहां कहीं भी डेरी क्षेत्र में अच्छा कार्य हो रहा है वहां पर उनको आगे बढ़ाने के लिए सरकार प्रोत्साहन देने को तैयार है। यह बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को ग्रेटर नोएडा स्थित एक्सपोमार्ट में आयोजित वर्ल्ड डेयरी समिट के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि 48 साल बाद देश में डेयरी समिट का आयोजन किया जा रहा है और प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर की धरती को चुनकर विशेष कार्य किया है। चूंकि देश में सबसे बड़ी आबादी वाला प्रदेश भी यूपी है और यहां पर सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन भी किया जाता है। देश का कुल 16 फीसदी दुग्ध उत्पादन यूपी से किया जाता है और 319 लाख मीट्रिक टन उत्पादन कर बड़ा राज्य बना है। दूध उत्पदन को और बढ़ाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। दुग्ध उत्पादन में करीब 70 फीसदी महिलाओं की भागीदारी है।
उन्होंने कहा कि जनवरी 2023 से प्रदेश में ग्लोबल इनवेस्टर समिट का आयोजन करने का निर्णय लिया गया है। इसमें नई पालिसी के तहत डेयरी सेक्टर को बढ़ावा देते हुए किसानों और पशुपालकों के जीवन में बदलाव लाने की योजना बनाई है। लघु एवं छोटे किसान ही कृषि के साथ-साथ पशु पालने का भी काम करते हैं। यूपी में चूंकि यह उनकी परंपरागत व्यवस्था चली आ रही है। यदि इन लघु कृषकों को तकनीकी के साथ जोड़ दिया जाए तो वह दिन दूर नहीं होगा जब श्वेत क्रांति की धारा उत्तर प्रदेश से ही शुरू होगी।उन्होंने कहा कि नई नीति के तहत किसान-पशुपालकों को स्वालंबन की ओर अग्रसर करते हुए रोजगार का सृजन होगा। साथ ही निवेश को बढ़ाने का काम करेगा। इस सेक्टर में (स्टेक होल्डर) निवेशकों से अलग-अलग चरणों में बात की जा रही है, जिसे जल्द ही अमली जामा पहनाया जा सकेगा। उन्होंने बुंदेलखंड के बलेनी दुग्ध समिति का नाम लेते हुए कहा कि आज महिलाओं के इस समूह से 41 हजार लोग जुड़े हुए हैं ओर 795 गांवों से 135 हजार लीटर दूध का कलेक्शन किया जाता है। इससे 150 करोड़ का टर्न ओवर है। इससे 13 करोड़ हर साल बचत होती है। इसके अलावा वाराणसी में ग्रीन फील्ड डेयरी समूह की साझेदारी के तहत 10 हजार क्यसिक दूध का उत्पादन किया जा रहा है। इस दौरान मंच पर केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी उद्योग मंत्री पुरुषोत्तम रुपाल, केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान, प्रदेशध्यक्ष और राज्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र कुमार, सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा और राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर आदि मौजूद रहे।
यूपी में साढ़े दस लाख गोवंशों का हो रहा संरक्षण
सीएम योगी ने कहा कि यूपी निराश्रित पशुओं बड़ी चुनौती है और यूपी में 6,600 गोस्थल चलाए जा रहे हैं। इनमें नौ लाख से अधिक गोवंश का सरंक्षण किया जा रहा है। जबकि डेढ़ लाख लोगों द्वारा भी गोवंश का सरंक्षण किया जा रहा है और उनको हर माह उसके खर्च के लिए राशि दी जा रही है। उन्होंने कहा कि खुरपका-मुहपका रोग से बचाने के लिए 84 लाख गोवंशों का टीकाकरण कराया जा चुका है।
दूध के साथ गोबर भी उद्योग का होगा हिस्सा-रुपाला
केंद्रीय पशुपालन एवं डेयरी उद्योग मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि पूरा विश्व जहां कोविड से लड़ रहा था और अन्य देशों में दूध उत्पादन में जहां दो फीसदी की बढ़ोत्तरी हो रही थी। वहीं भारत में कोविड काल में भी छह फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। यह संपूर्ण देश के लिए बड़ा संदेश है कि आज भी भारत जिस आबादी के ऊपर निर्भर है वह देश को आगे ले जाने का काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि भविष्य में पशुओं के गोबर का कोई प्रयोग नहीं किया जाता था। मगर अब पशुओं के गोबर को लेकर भी नीति बनाई जा रही है और इससे बायोगैस और बायोसीएनजी बनाने की तैयारी है। भविष्य में गोबर भी बिजनेस का एक हिस्सा होगा।
आईडीएफ के एध्यक्ष ने बोली हिंदी तो सभी हुए खुश
आईडीएफ के अध्यक्ष पीयर क्रिस्टियानो ब्राजीली ने कार्यक्रम की शुरुआत हिंदी में की। टूटी-फूटी हिंदी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ को संबोधित करना शुरू किया। इससे न सिर्फ प्रधानमंत्री बल्कि मंच पर बैठे सभी नेतागण भी काफी खुश हुए। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान उनका विशेष आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह उनकी काबिलियत है कि वह कुछ समय में ही आकर भारत की भाषा में उनका संबोधन कर रहे हैं। यह अपने आप में अनोखा कार्य है।
पीएम के बाद सीएम को करना पड़ा उद्बोधन के लिए इंतजार
प्रधानमंत्री के जाने के बाद अधिक्तर लोग भोजन की ओर प्रस्थान कर गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ समेत सभी नेतागण पीएम को हेलीकाप्टर तक छोड़ने गए हुए थे। प्रधानमंत्री को छोड़ने के बाद वापस मुख्यमंत्री को संबोधित करना था। मगर उस समय तक लोग खाना-खाने के लिए चले गए थे और हॉल में गहमा गहमी का माहौल था। मुख्यमंत्री के मंच पर आसीन होने के बावजूद लोग शोरगुल कर रहे थे।
मुख्यमंत्री लोगों के बैठने का इंतजार कर रहे थे कि उसके बाद ही संबोधन किया जाए। मगर जब लोग शांत न हुए तो केंद्रीय राज्य मंत्री संजीवन बालियान को माइक से लोगों को शांत करने का आग्रह करना पड़ा और उसके बाद ही मुख्यमंत्री ने अपना उद्बोधन शुरू किया।
चैंबर के लिए सीएम से अधिवक्ताओं ने की 11 करोड़ की मांग
जनपद दिवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन गौतमबुद्ध नगर के वकीलों ने न्यायालय परिसर में चैंबर बनवाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सोमवार को ज्ञापन सौंपा है। बार एसोएशन के अध्यक्ष सुशील भाटी ने कहा कि वह मुख्यमंत्री से मिलने के लिए एक्सपो मार्ट पहुंचे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री के साथ मौजूद एक अधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। उन्होंने बताया कि चैंबर बनाने के लिए 11 करोड़ रुपये के आर्थिक मदद की मांग की। इस संबंध में उन्हें बात करने के लिए लखनऊ बुलाया गया है।
उन्होंने बताया कि पहले संबंधित विभागों से एनओसी न मिलने के कारण मामला अटक जाता था। लेकिन इस बार आईआईटी और लोकनिर्माण विभाग से एनओसी लेने के बाद 11 करोड़ रुपये की मांग की गई है।
जीबीयू के साथ जिम्स को रखने का कुलपति ने दिया सीएम को सुझाव
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय पहुंचे मुख्यमंत्री के समक्ष रविवार शाम को विवि के कुलपति ने राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान को जीबीयू के साथ रखने का सुझाव दिया। कुलपति ने कुलाधिपति को बताया कि इस बारे में उनकी पूर्व में चर्चा प्रमुख सचिव से हुई थी। प्रमुख सचिव से उन्होंने प्रस्ताव रखा था कि जिम्स को जीबीयू का हिस्सा बना दिया जाए। जिससे हमारी शैक्षणिक गतिविधियों के बहु-आयामी और बहु-अनुशासनात्मक पहलू को जोड़ेगा और साथ एनईपी-2020 कार्यान्वयन बिंदु की आवश्यकता को भी पूर्ण करेगी।
प्रोफेसर सिन्हा ने आगे कहा कि दोनों संस्थानों के अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी को जीआईएमएस के साथ जोड़ा जाएगा। कुलपति ने दावा किया कि मुख्यमंत्री इस विचार के प्रति सकारात्मक थे। इस दौरान उन्होंने बताया कि बौद्ध अध्ययन के माध्यम से विवि ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है।उन्होंने बताया कि इसमें आसियान, सार्क, फार ईस्ट, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के साथ अन्य एशियाई बौद्ध देशों के छात्रों के बीच उच्च शिक्षा और नवाचार में एक विश्व स्तरीय संस्थान के रूप में विगत दस वर्षों में उभर कर आया है। उन्होंने इसके लिए सरकार से समर्थन और संरक्षण की मांग की। इसके अलावा ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण को जीबीयू के भवनों और बुनियादी ढांचे से संबंधित विभिन्न मुद्दों के साथ साथ सभी भवनों में अग्नि सुरक्षा लेखा परीक्षा सुनिश्चित करने के लिए आग्रह किया गया। इसके लिए सीएम ने प्राधिकरण के अधिकारियों को निर्देश जारी किए।
जीबीयू शिक्षकों का सातवें वेतन आयोग के हिसाब से वेतन की मांग
विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों विनियमितीकरण, प्रमोशन एंड सातवां वेतन आयोग को लागू करना के मुद्दे पर कुलाधिपति ने नियमों के तहत आगे बढ़ने के संकेत दिए। यूपी सरकार के इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के वार्षिक बजट में जीबीयू के कर्मचारियों के लिए अलग से वेतन अनुदान प्रदान करने की मांग रखी।