उत्तरप्रदेश: फ्रंटियर एक्सप्रेस के नाम से अपना सफर शुरू करने वाली गोल्डन टैंपल शुक्रवार को 95 साल की हो गई। एक सितंबर 1928 को इस ट्रेन के फ्रंटियर मेल के नाम से शुरू किया गया था। इसके बाद ट्रेन का नाम साल 1996 में बदलकर गोल्डन टेंपल कर दिया गया। ट्रेन को ब्रिटिश हुकूमत ने बॉलार्ड पियर मोल स्टेशन से दिल्ली होते हुए बठिंडा से लाहौर के लिए संचालित किया था। खास बात यह है कि आज भी यह ट्रेन सहारनपुर स्टेशन पर रुकती है।
ब्रिटिश जमाने के गौरव समझे जानी वाली फ्रंटियर मेल उस समय बालार्ड पियर स्टेशन से संचालित होती थी। ट्रेन दिल्ली-बठिंडा, फिरोजपुर होते हुए लाहौर(उस समय पाकिस्तान) तक जाती थी। साल 1930 में ट्रेन को सहारनपुर-अंबाला-अमृतसर होते हुए पेशावर तक संचालित किया जाने लगा। लेकिन आजादी के बाद ट्रेन का टर्मिनल स्टेशन अमृतसर स्टेशन को बनाया गया। वर्तमान में यह ट्रेन अमृतसर-मुंबई सेंट्रल-अमृतसर के बीच संचालित होती है। बताते हैं कि फ्रंटियर मेल के बारे में यह कहा जाता था कि यह ट्रेन कभी लेट नहीं हो सकती।
सीट के नीचे बर्फ रखकर बनाए एसी कोच
फ्रंटियर मेल में ब्रिटिश अधिकारियों व नागरिकों के लिए 1934 में वातानुकूलित कोच लगाए गए। कोच को ठंडा रखने के लिए सीटों के नीचे बर्फ की सिल्लियां रखी जाती थीं। साथ ही किस स्टेशन पर सिल्लियों को बदला जाएगा, यह भी पहले से ही तय रहता था। प्रत्येक एसी कोच में आधुनिक टॉयलेट, बर्थ, आरामदायक कुर्सियां, पंखे, लाइट लगी हुई थी।
तार व चिट्ठियों ले जाने के लिए थी विशेष सुविधा
फ्रंटियर मेल द्वारा अर्जेंट चिट्ठियां व तार को लाने ले जाने के लिए विशेष बंदोबस्त किए गए थे। बताया जाता है कि डाउन ट्रेन में एक मेल बाक्स उपलब्ध कराया गया था। जिसमें यूरोप व अमेरिका जाने वाली चिट्ठियों को मुबंई तक ट्रेन द्वारा लाया जाता था।
वर्तमान में 1892 किमी का सफर करती है तय
गोल्डन टेंपल ट्रेन वर्तमान में कुल 1892 किमी का सफर तय करती है। यह ट्रेन इस सफर को पूरा करने में करीब 29 घंटे का समय लेती है। यह ट्रेन अमृतसर से होते हुए प्रमुख स्टेशनों पर रुकती है। जिनमें जालंधर, अंबाला, सहारनपुर, मेरठ, मथुरा, कोटा, वडोदरा, सूरत प्रमुख स्टेशन शामिल हैं।