Unnao : नगर प्रशासन की लापरवाही से भोजन-पानी की तलाश में गौवंश

Update: 2024-08-08 10:11 GMT
 Unnaoउन्नाव । नगर पालिका परिषद उन्नाव शहर में तीन गोशालाओं का संचालन कर रही है। इसके बाद भी पूरे शहर में भोजन-पानी की तलाश में गौवंश इधर-उधर भटकते दिखाई देते हैं। बारिश के सीजन में रेलवे ट्रैक व सड़कों पर शरण लेने वाले गोवंश हादसे का शिकार हो रहे है।
शहर की पुरानी आबादी सहित पाश इलाकों में शुमार किए जाने वाले सिविल लाइंस, पीडीनगर व आवास विकास कालोनी सहित नवविकसित अन्य मोहल्लों में गोवंश का जमावड़ा दिखाई देता है। बारिश के दिनों में खाली प्लाट सहित गलियों में जलभराव होने से गोवंश का सड़कों पर शरण लेनी पड़ती है।
वहीं पेट की आग बुझाने को भटकते हुए यह रेलवे ट्रैक के आसपास खाली जमीन पर उगी घास आदि खाने पहुंच जाते है। गोवंश बोल भले न पाते हों लेकिन बारिश का अंदेशा होते ही यह सड़कों सहित अन्य सूख दिखने वाले स्थनों पर बहुतायत से पहुंच जाते हैं। शहर के पुराने हरदोई पुल व रामपुरी रेलवे क्रासिंग पर बने नए फ्लाई ओवर सहित आसपास इलाके में इन दिनों खूब गोवंश एकत्र रहते हैं।
सूखा व सुरक्षित स्थान समझकर पुलों के मुहानों पर शाम से रात तक यह जमावड़ा लगने का सिलसिला जारी रहता है। दूसरी तरफ रात गहराने के साथ सड़क पर शहरी वाहनों की आवाजाही थमने पर भारी वाहन काफी तेज गति से गंतव्य की ओर बढ़ना शुरू कर देते हैं।
पुराने ओवरब्रिज पर मोतीनगर की ओर से जबर्दस्त मोड़ होने से कई बार सामने से आने वाले वाहन का साईड देते हुए ट्रक आदि को अपनी गाड़ी किनारे दबानी पड़ती है। जिससे सड़क की ओर पैर किए बैठे गोवंश बुरी तरह घायल होकर चलने में असमर्थ हो जाते हैं। इसी तरह ट्रेन की हल्की टक्कर अच्छे व स्वस्थ्य गोवंश को उठने काबिल नहीं छोड़ती।
निरीक्षण में खुल चुकी है पोल
पिछले दिनों गदनखेड़ा गोशाला के निरीक्षण के समय डीएम गौरांग राठी के सामने पालिका की गौसंरक्षण की कलई खुल चुकी है। हालांकि उन्होंने गोशाला को सुविधायुक्त बनाने के निर्देश दिए थे लेकिन दोहरी समस्या का कारण बन रहे सड़क पर घूमने वाले गोवंश को गोशालाओं में पहुंचाने को उन्होंने भी अब तक तवज्जो नहीं दी है। इस उदासीनता से जहां दुर्घटनाग्रस्त गोवंश घिसटने को मजबूर हो रहे हैं। वहीं दुर्घटनाग्रस्त हल्के वाहन सवार भी इलाज पर पैसा बर्बाद करने को विवश रहते हैं।
निकटवर्ती गावों के गौवंश बढ़ाते हैं समस्या
पालिका ईओ संजय गौतम ने कहा कि समय-समय पर वाहन दस्ता भेजकर सड़कों पर घूम रहे गोवंश गोशाला पहुंचाए जाते हैं। कहा कि निकटवर्ती गावों से नए गोवंश शहरी सीमा में प्रवेश करते रहते हैं। जिससे सड़कों पर इनका दिखना बंद कर पाना मुश्किल हो रहा है। ग्राम पंचायतों को वहां संचालित गोशालाओं में गोवंश को संरक्षित करना चाहिए। यही नहीं वह शहरी गोशालाओं में स्थानाभाव का हवाला भी देते हैं।
शहर के तीन मुहानों पर हैं गोशालाएं
अब तक शहर में तीन अलग-अलग स्थानों पर गोशालाओं का निर्माण कराया जा चुका है। अधिकारियों के निरीक्षण के हिसाब से सबसे मुफीद गदनखेड़ा चौराहा के पास लखनऊ-कानपुर बाईपास मार्ग पर स्थित गोशाला मानी जाती है।
इसके बाद भी यहां निरीक्षण के दौरान डीएम गौरांग राठी को भारी अनियमितताएं मिली थीं। हालांकि भूभाग के लिहाज से कांशीराम कालोनी के पास संचालित गोशाला को बड़ी माना जाता है। लेकिन यहां की व्यवस्था सबसे अधिक बद्तर रहती है। वहीं सिंगरोसी स्थित गोशाला को कान्हा गोशाला कहा जाता है। लेकिन यहां गौसंरक्षण की कोई अतिरिक्त व्यवस्था देखने को नहीं मिलती है।
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