लखनऊ न्यूज़: परिवहन निगम के सीतापुर डिपो में फर्जी बस कंडक्टर भर्ती मामले की जांच जैसे जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे नए खुलासे हो रहे है. जांच में सीतापुर डिपो के दो बाबुओं की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. जिसमें एक लिपिक ने फर्जी बस कंडक्टर सुग्रीव यादव के नाम से फर्जी आईकार्ड जारी किया था तो दूसरा स्थापना अनुभाग के लिपिक ने फर्जी बस कंडक्टर की एंट्री करके अपनी मंजूरी दी थी. इन दोनों नियमित कर्मियों को हरदोई क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक ने निलंबित कर दिया है.
लिपिक ने असली बस कंडक्टर शेखर सिंह की पहचान किए बगैर फर्जी बस कंडक्टर को आईकार्ड थमा दिया. अभी तक जांच में सीतापुर डिपो के कर्मियों में उदय कुमार और शशिकांत की मिली भगत के साबूत मिले है. इस मामले में अभी और भी बाबू जांच अधिकारी के रडार पर है. इनमें एक और बाबू गौरव कुमार से जवाब तलब किया गया है.
हलांकि इस पूरे मामले की जांच सीतापुर डिपो के एआरएम के बजाय हरदोई क्षेत्र के एआरएम वित्त को सौंपी गई है. ताकि सीतापुर डिपो में चल रहे जांच प्रभावित न हो सके.