गोरखपुर: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज स्थित रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) के वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई स्क्रब टायफस डिटेक्शन किट का 16 राज्यों के अपने 28 संस्थानों में ट्रॉयल शुरू कर दिया है. इसका मकसद अलग-अलग वातावरण में किट की क्षमता का पता लगाना है. किट की जांच रिपोर्ट सभी संस्थानों में सही मिली तो इसे बाजार में सस्ती कीमत पर उतारा जाएगा, जो आरएमआरसी के लिए बड़ी उपलब्धि होगी.
यह किट महज 45 मिनट में ही स्क्रब टायफस की पहचान कर लेता है, जबकि अभी इसकी जांच में 24 से 48 घंटे के बीच समय लगता है. आरएमआरसी में स्क्रब टायफस किट को इजाद करने में संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. रजनीकांत, मुख्य वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह और डॉ. पूजा भारद्वाज शामिल रहे. आरएमआरसी इस किट के पेटेंट के लिए तैयारी में है.
इंसेफेलाइटिस की पहचान होगी आसान पूर्वी यूपी के 32 जिले, पश्चिमी बिहार के 10 जिले, नेपाल के तराई के अलावा आठ राज्यों में इंसेफेलाइटिस का प्रकोप फैला है. इसमें सबसे ज्यादा मरीज स्क्रब टायफस के पाए जाते हैं. इस किट के ईजाद होने के बाद मौके पर ही जांच हो जाएगी. नमूना बीआरडी या फिर आरएमआरसी नहीं भेजना पड़ेगा. इससे बीमारी की पहचान पहले हो सकेगी और मौतों को रोका जा सकेगा. आरएमआरसी के मीडिया प्रभारी डॉ. अशोक पांडेय ने बताया कि इस किट की विश्वसनीयता और सटीक जांच की जानकारी के लिए आईसीएमआर ने देश भर के अपने 28 संस्थानों में इसकी जांच का फैसला लिया है.
अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग है बैक्टीरिया के प्रभाव आरएमआरसी के पूर्व निदेशक व किट को ईजाद करने वाले डॉ. रजनीकांत ने बताया कि आईसीएमआर के 16 राज्यों में 28 संस्थान हैं, जहां पर नई बीमारियों से लेकर नई किट बनाने पर शोध होते हैं. स्क्रब टायफस किट को देश भर के 28 संस्थानों में जांच के लिए इसलिए भेजा जा रहा है कि, जिससे किट के बारे में सही जानकारी मिल सके. क्योंकि, अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग बैक्टीरिया और वायरस के प्रभाव होते हैं. ऐसे में यह किट अलग-अलग हिस्सों में कितनी कारगर होती है, यह जांच के बाद ही पता चल सकेगा. किट पुडुचेरी से लेकर केरल, बंगलुरू, दिल्ली, तमिलनाडु जैसे आईसीएमआर के संस्थानों में जांच के लिए जाएगा.