बरेली । तहसील सदर के तत्कालीन तहसीलदार शेर बहादुर सिंह के विरुद्ध भ्रष्टाचार की एफआईआर होने के बाद कर्मचारियों के रिश्वत लेने के मामलों पर भी अंकुश लगता नहीं दिख रहा है। 13 सितंबर को हैसियत प्रमाणपत्र पर रिपोर्ट लगाने के एवज में रिश्वत लेते हुए लेखपाल पुरुषोत्तम गंगवार को पीलीभीत रोड पर संजय नगर मोड़ के पास दबोचा था।
इसके बाद भी रिश्वत लेने का खेल नहीं बंद हुआ। एंटी करप्शन विभाग के पास तहसील सदर की कई शिकायतें पहुंची हैं। शुक्रवार को एंटी करप्शन की टीम ने एक कानूनगो को रिश्वत लेते हुए रंगे नोटों के साथ पकड़ने के लिए पूर्वाह्न 11 बजे के बाद जाल बिछा दिया। टीम कलेक्ट्रेट के एक बाबू को बतौर गवाह साथ लेकर पहुंची।
तहसील सदर में टीम के सदस्य सिर पर अंगोछा बांधकर गए ताकि रिश्वत लेने वाला कानूनगो समेत अन्य कर्मचारी टीम के सदस्यों को नहीं पहचान सकें, लेकिन कलेक्ट्रेट से टीम के निकलने के बाद राजस्व विभाग के व्हाट्सग्रुप पर "बी अलर्ट" का मैसेज पड़ गया। इससे कलेक्ट्रेट से लेकर तहसील सदर के सभी कर्मचारी सतर्क हो गए। सूत्रों के मुताबिक टीम पूर्वाह्न से लेकर शाम तक तहसील व इसके आसपास सक्रिय रही।
पीड़ित व्यक्ति रंगे नोटों को लेकर कानूनगो के पास रिश्वत देने के लिए गया, लेकिन कानूनगो ने उस व्यक्ति से बात नहीं की। क्योंकि कानूनगो को टीम के आसपास होने की भनक लग गई थी। एंटी करप्शन टीम को लगा कि शाम तक कानूनगो को ट्रैप कर लेंगे, लेकिन टीम की कार्रवाई पहले से लीक होने से दिनभर की मेहनत पर पानी फिर गया।
कलेक्ट्रेट के जिस बाबू काे टीम ने साथ लिया, उनका मोबाइल पहले ही जमा करा लिया था। तहसील सूत्रों ने बताया कि आठ दिन पहले भी एंटी करप्शन की टीम तहसील सदर में एक कर्मचारी को ट्रैप करने पहुंची, लेकिन उस दिन वह कर्मचारी ही नहीं आया था।
एंटी करप्शन की टीम ने ट्रैप करने जाने की जानकारी दी थी, लेकिन कहां ट्रैप करने गई, यह नहीं मालूम। अभी तक किसी के पकड़े जाने की बात भी सामने नहीं आई