खांसी के इलाज में परंपरागत दवाएं बेअसर

Update: 2023-05-13 14:18 GMT

प्रतापगढ़ न्यूज़: कोरोना की मार से खांसी अभी भी नहीं उबर पाई है. कोरोना के पहले जिस खांसी को ठीक होने में 8 दिन का समय लगता था वह अब महीनाभर तक पीछा नहीं छोड़ रही है. इस दौरान मरीज की परेशानी देखते हुए डॉक्टर मजबूरी में स्टेरायड का इस्तेमाल कर रहे हैं. जो कि नुकसानदायक मानी जाती है.

मेडिकल कॉलेज के राजा प्रताप बहादुर चिकित्सालय की 8 नम्बर ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 160 मरीज आ रहे हैं. डॉक्टर के सहायक अनिल यादव के मुताबिक पिछले एक महीने से खांसी के मरीजों की संख्या कम नहीं हो रही है. डॉक्टर के मुताबिक प्रतिदिन आने वाले 160 में लगभग 100 मरीज सिर्फ खांसी की शिकायत लेकर आ रहे हैं. इन मरीजों को परम्परागत रूप से दी जाने वाली एंटीबायोटिक व एंटी एलर्जिक दवाएं उतना तेज रिस्पांस नहीं दे पा रही हैं जितना बढ़िया रिस्पांस यही दवाएं कोरोना के पहले देती थीं. मरीज जब खांसते-खांसते थक जाता है तो उसकी परेशानी देखते हुए स्टेरायड युक्त दवाएं दी जाती हैं. स्टेरायड से मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता से लेकर हड्डी व अन्य अंग विपरीत रूप से प्रभावित होते हैं. स्टेरायड बीमारी नहीं बल्कि बीमारी के लक्षण दबा देती है. फिलहाल डॉक्टर इसका इस्तेमाल कर अधिकांश मरीजों को खांसी से राहत दिला रहे हैं.

कोरोना के बाद खांसी इतना बिगड़ चुकी है कि एंटीबॉयोटिक व एंटी एलर्जिक दवाएं पहले की तरह बढ़िया काम नहीं कर रहीं इसलिए मरीजों को राहत दिलाने के लिए स्टेरायड का इस्तेमाल किया जा रहा है.

-डॉ. आरपी द्विवेदी, असिस्टेंट प्रोफेसर मेडिकल कॉलेज

बरतें सावधानी:

1-रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य का इस्तेमाल करें.

2-एलर्जी पैदा करने वाले खानपान व प्रदूषण से दूर रहें.

3-भाप लेकर गले को संक्रमणमुक्त रखें.

4-अधिक से अधिक समय मॉस्क का इस्तेमाल करें.

5-मरीज अपना सुगर व ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखें.

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