कानपूर न्यूज़: इत्र कारोबारी पीयूष जैन की फर्मों पर लगभग 497 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी की देनदारी निकाली गई है. डीजीजीआई की जांच में इत्र कारोबारी पीयूष जैन के साथ व्यापार करने वाले लोग भी फंस रहे हैं. इसमें छह फर्म, उनके निदेशक व साझेदार शामिल हैं.
पीयूष जैन को डीजीजीआई के छापों में 196 करोड़ रुपये बरामद होने के बाद दिसंबर 2021 में जेल भेजा गया था. डीजीजीआई के विशेष लोक अभियोजक अम्बरीश टंडन ने बताया कि मेसर्स ओडोचैम इंडस्ट्रीज, मेसर्स फ्लोरा नेचुरल, मेसर्स ओडोसेंथ आईएनसी व उसके साझेदार पीयूष कुमार जैन, भाई अम्बरीश जैन, पिता महेश चंद्र जैन, मेसर्स त्रिमूर्ति फ्रेग्रेंसेस प्राइवेट लिमिटेड व उसके निदेशक दीपक अग्रवाल, मैनेजर शैलेंद्र मित्तल, मेसर्स गणपति रोड कैरियर्स प्राइवेट लिमिटेड व उसके निदेशक प्रवीण कुमार जैन, रजत जैन, मेसर्स एस. कुशलचंद्र इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड व उसके निदेशक सुनील ए हिरानी को नोटिस भेजा गया है. पीयूष की तीनों फर्मों के कारोबार व बरामद सोने पर कुल लगभग 497 करोड़ रुपये की जीएसटी की वैल्यू निकाली गई है. 207 करोड़ रुपये पहले ही सीज किए जा चुके हैं. अब 290 करोड़ रुपये और चुकाने पड़ सकते हैं.
रेलवे को भेजा 4 करोड़ का नोटिस
कानपुर सेंट्रल स्टेशन की पटरियों और सिटी साइड में सीवरेज भरे होने की समस्या के बीच जलकल ने रेलवे को करीब चार करोड़ रुपये सीवर टैक्स अदा करने का नोटिस दिया है. रेलवे ने नोटिस यह कहकर वापस कर दिया है कि कर निर्धारण की प्रक्रिया बताएं. जलकल की तरफ से कर निर्धारण न होने का मामला 2017 के बाद से फंसा हुआ है. रेलवे को दिए गए नोटिस में चार करोड़ रुपये सीवर टैक्स की बकाएदारी बताई गई है. पीके शाक्य, वरिष्ठ सहायक अभियंता (संपदा) ने बताया कि सीवर टैक्स किस दर से लिया गया है. इसकी जानकारी जलकल से मांगी गई है.