यूपी का यह युवा किसान इस पौधे को लगाकर कमा रहा लाखों, ऐसा क्या है इस पौधे की खास बात जानिए
उत्तरप्रदेश: यूपी के हरदोई में एक युवा अपने खेतों में गेहूं, गन्ना आदि की खेती न करके बांस की खेती कर रहा है. एक बार इस खेती को करने के बाद 25 से 30 वर्ष तक इससे कमाई की जा सकती है. इस खेती में जितनी लागत लगती है, उससे दोगुना ज्यादा कमाई हो जाती है. इसकी प्लांटिंग करने के भी नियम हैं, जिसे अपनाने पर बेहतर खेती की जा सकती है. वहीं वर्तमान में बांस की डिमांड भी बढ़ रही है.
हरदोई के युवा किसान राहुल सिंह बताते हैं कि वर्तमान में जो फसल उगाई जा रही हैं, जिन्हें जानवरों व कीट पतंगों से नुकसान हो जाता है. इसकी वजह से किसानों को फसल की लागत तक निकालना मुश्किल पड़ जाता है. ऐसे में इस समस्या से न जूझना पड़े और कुछ अलग करने की चाह रखते हुए बांस की खेती करने का निर्णय कर लिया. बताया कि बांस की खेती को अगर नियमानुसार किया जाए तो एक बार बांस तैयार होने के बाद 25 से 30 वर्षों तक कमाई की जा सकती है.
लागत से दोगुनी कमाई
हरदोई के युवा किसान राहुल सिंह का कहना है कि बांस की खेती के लिए बीज नहीं मिलते, इसके पौधे लैब में तैयार किए जाते हैं. भारत मे कुछ ही ऐसी लैब हैं, जो बैंबू प्लांट को राइजोम और टिशू कल्चर से तैयार कर रही हैं. ऐसी ही एक लैब दक्षिण भारत में है, जहां से उसने प्लांट मंगाए थे. हरदोई तक आने पर इस एक बम्बू प्लांट की कीमत 55 रुपये पड़ी थी. उन्होंने 25 बीघे में इस बांस की खेती की है. एक एकड़ में 1000 प्लांट लगाए हैं. जिनकी लागत पहले वर्ष में लगभग 60 से 70 हजार रुपये आती है. उसके बाद नेचुरल तरीके से इसकी खेती होती रहती है. इस खेती का ज्यादा रखरखाव भी नहीं करना पड़ता. इससे एक एकड़ में लगभग ढाई लाख रुपए की कमाई हो जाती है.
कई उपयोगों में आता है बांस
राहुल सिंह बताते हैं कि उन्होंने 25 बीघे में बांस की खेती कर रखी है. इसका इस्तेमाल बायोगैस और एथेनॉल बनाने में भी किया जाता है. जिसे सरकार भी इस प्रोडक्शन को बढ़ावा दे रही है. वहीं बांस के फैब्रिक भी बनाए जाते हैं तो दक्षिण भारत के इलाकों में इसे घर की छत बनाने के काम मे भी लाया जाता है. साथ ही यह बांस प्लास्टिक का भी अल्टरनेट बनता जा रहा है तो यही कारण है कि बम्बू फार्मिंग करने का निर्णय कर लिया.