मेरठ: हस्तिनापुर में गंगा के ऊपर बने भीकुण्ड पुल पर फिर से संकट के बादल मंडराने लगे हैं। जो संकट गत 25 जुलाई को बिजनौर जनपद की तरफ से शुरू हुआ था, ठीक उसी प्रकार का संकट इस बार मेरठ की तरफ से है। संकट वो गहरा था, लेकिन यह संकट उससे भी ज्यादा गहरा है। जो कटान पहले बिजनौर साइड से शुरू हुआ था, ठीक उसी प्रकार का कटान अब मेरठ साइड से भी शुरू हो चुका है। बावजूद इसके विभागीय अधिकारी कुंभकरणीय नींद में हैं। कमियां सबको पता है। इल्म सबको है, लेकिन कोई कुछ भी करने को तैयार नहीं।
उन्होंने फौरन इसका संज्ञान लिया। बावजूद इसके सो रहे विभागीय अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी और यही कारण है कि कल तक जो दरारें थीं वो आज इतनी चौड़ी हो चुकी हैं कि पुल की मिट्टी ही दरकने लग गई है। यदि उस समय पीडब्ल्यूडी अधिकारी चौकस हो जाते तो पुल पर मेरठ साइड की ओर से शुरू हुए एप्रोच रोड के कटान को रोका जा सकता था।
जो दरारें पहले इंचों में थीं वो अब फुटों में देखी जा सकती हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि यदि अब भी पीडब्ल्यूडी अधिकारी न चेते तो समझिए दोनों ओर की एप्रोच रोड ध्वस्त होने से पुल ही हवा में लटक जाएगा। फिर अधिकारी क्या करेंगे यह तो वही जानें लेकिन इस बीच यदि ठंड की बारिश शुरू हो गई तो स्थिति और भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है, क्योंकि पहले से ही गीली मिट्टी और ज्यादा गीली हो जाएगी क्योंकि पुल पर आवागमन बंद होने भर से समस्या का समाधान संभव नहीं है।