उत्तर प्रदेश: इसमे वार्ड में आने वाले लोगों का भी प्रतिनिधित्व मिलेगा। इस बारे में नगर विकास विभाग की तरफ से नगर निगमों को जरूरी दिशा-निर्देश भेजे जा रहे हैं।
वार्ड कमेटियों के अस्तित्व में आने के बाद सम्बंधित वार्ड में होने वाले विकास और बुनियादी सुविधाओं के कार्य इन कमेटियों की मंजूरी के बाद ही हो सकेगे।
नगर निगम अधिनियम में वार्ड कमेटियों के गठन का प्रावधान है। अभी तक कभी भी इनका गठन नही हुआ है। नगर निगमों के निर्वाचित सदन ही कामकाज करते आये है, लेकिन अब योगी सरकार चाहती है कि वार्ड कमेटियों का भी विधिवत गठन हो ताकि विकास तथा अन्य कार्यों में ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी हो सके।
वार्ड कमेटियों के सदस्यों की अधिकत संख्या दस होगी और सम्बंधित वार्ड का पार्षद इस कमेटी का पदेन अध्यक्ष होगा। कमेटी में नगर निगम के सम्बंधित जोन के अधिकारियों के अलावा कम से तीन प्रतिनिधि उस वार्ड के होगे। इन्हे सर्वसम्पत्ति से नामित किया जाएगा।
सहमति न बनने की दश में इनका चुनाव भी कराया जा सकेगा। कमेटियों का गठन होने के बाद उक्त वार्ड से सम्बंधित कोई भी कार्य कमेटी की मंजूरी के बाद ही होगे।