रामराज: जनपद की टिकौला शुगर मिल प्रदेश की पहली ऐसी शुगर मिल बन गयी है, जिस पर किसानों का कोई कर्जा बकाया नहीं है। चीनी मिल द्वारा पैराई समाप्ति के तीन दिन बाद ही किसानों का समस्त भुगतान कर दिया गया है। चीनी मिल द्वारा किये गये भुगतान के बाद किसानों के चेहरे चमक उठे हैं। जबकि इसी जनपद की भैसाना चीनी मिल किसानों का भुगतान करने में सबसे फिसड्डी साबित हुई।
बता दें कि जिले में आठ चीनी मिल है, जिनमें खतौली, टिकौला, मंसूरपुर, तितावी, खाईखेड़ी, रोहाना, मोरना, भैसाना शामिल हैं। किसानों ने इस बार अब तक 35 अरब 40 करोड़ 68 लाख एक हजार रुपये मूल्य का गन्ना सभी चीनी मिलों में डाला है।
चीनी मिले किसानों को 83.80 प्रतिशत भुगतान कर चुकी है। यानि 28 अरब 86 करोड़ 21 लाख 23 हजार किसानों के खातों में जा चुका है।
खतौली और मंसूरपुर चीनी मिल गन्ना आपूर्ति के 14 दिन के अंदर किसानों का भुगतान कर रही है। टिकौला चीनी मिल भुगतान में सबसे आगे निकली है। टिकौला चीनी मिल पेराई सत्र के प्रारंभ से ही 14 दिन के अंदर भुगतान कर रही थी।
पेराई सत्र की समाप्ति के तीसरे दिन ही किसानों का समस्त भुगतान कर दिया है। इस चीनी मिल में किसानों ने छह अरब 40 करोड़ 11 लाख 27 हजार रुपये मूल्य का गन्ना डाला है। मिल ने किसानों का समस्त भुगतान कर दिया है। चीनी मिल पर किसानों का कोई पैसा बकाया नहीं है।
टिकौला चीनी मिल डायरेक्टर निरंकार स्वरूप का कहना है कि मिल प्रबंधन किसानों के सुख में ही अपना सुख ढूंढता है। उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता हमेशा किसान रहे हैं। सत्र के प्रारंभ से ही हमने किसानों का भुगतान आपूर्ति के 14 दिन के अंदर किया है।