मिर्जापुर जिले में हैं पर्यटन की अनंत संभावनाएं, हैं कई दर्शनीय स्थल

दर्शनीय स्थल

Update: 2022-08-20 10:56 GMT

मिर्जापुर. विंध्य पर्वत से घिरे मिर्जापुर जिले में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं. राजनीतिक और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण यहां पर्यटक बहुत कम संख्या में आते हैं. कई ऐसे स्थल हैं जिनका विकास कर प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में स्थापित किया जा सकता है. यह जिला कई प्राकृतिक स्थानों और झरनों को भी संजोए है. मां विंध्यवासिनी मंदिर, अष्टभुजा और काली खोह के पवित्र मंदिर के लिए प्रसिद्ध है. यहां देवरहवा बाबा आश्रम भी है. ब्रिटिश शासन काल में मध्य और पश्चिमी भारत के मध्य व्यापार केंद्र की जरूरतों को पूरा करने का प्रमुख केंद्र था. यहां बड़े पैमाने पर कपास, और रेशम का व्यापार होता था. यह जिला उत्तर में संत रविदास नगर भदोही और वाराणसी, पूर्व में चंदौली, दक्षिण में सोनभद्र और पश्चिम में प्रयागराज से घिरा हुआ है.

मिर्जापुर जिला गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है. विंध्यवासिनी मंदिर के पास कई घाट हैं जहां ऐतिहासिक मूर्तियां अभी भी मौजूद हैं. गंगा उत्सव के दौरान इन घाटों को रोशनी और दीयों से सजाया जाता है. मिर्जापुर के घाट वाराणसी और इलाहाबाद के गंगा घाटों की तुलना में अपेक्षाकृत शांत हैं. वहां की अपेक्षा यहां विकास कम हुआ है. मिर्जापुर शहर कालीन बनाने, मिट्टी के बर्तनों, खिलौनों और पीतल के बर्तनों को बनाने के लिए प्रसिद्ध है.
यहां मां विंध्यवासिनी देवी का मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है. मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा के लिए आते हैं. चैत्र और आश्विन महीनों में नवरात्रि के दौरान भारी भीड़ लगी है. अष्टभुजी देवी मंदिर विंध्य पर्वतमाला के शीर्ष पर स्थित है. यह मंदिर एक गुफा के अंदर स्थित है. कालिखो मंदिर एक प्रसिद्ध महाकाली मंदिर है. यह विंध्य पर्वत श्रृंखला में स्थित है. यह एक पहाडी पर स्थित है. यह छोटी नदियों और घने जंगल के बीच स्थित है. सीता कुंड प्रतिष्ठित स्थलों में से एक है. यह रामायण की पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है.
वाइन्धम फॉल्स मिर्जापुर के निकट स्थित सबसे अच्छा पिकनिक स्पॉट है. पथरीले रास्तों से बहता झरना है. इस झरने का नाम ब्रिटिश कलेक्टर वायन्दम के नाम पर रखा गया है. ऊपर से देखने पर ऐसा लगता है जैसे पूरी घाटी हरे रंग के रंगों में रंगी हो. यहां एक छोटा चिड़ियाघर और पार्क है. यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते रहते हैं. टांडा फॉल्स भी प्रमुख पिकनिक स्पॉटों में से एक है. यह टांडा बांध के नाम से भी जाना जाता है. लगभग 85 वर्ष पुराना बांध इस क्षेत्र में पानी की आपूर्ति का मुख्य स्रोत है. सिरसी बांध पिकनिक स्पॉट में से एक है. चुनार किला यहां के ऐतिहासिक प्रमाणों में से एक है. जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने करवाया था. यह किला बाबर, शेरशाह सूरी और अकबर की सेवा की. किले को 1772 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने कब्जे में ले लिया था. चुनार किले से गंगा नदी का एक अद्भुत दृश्य दिखाई देता है. यह देश के सबसे पुराने किलों में से एक है.
राजनीतिक लहर के साथ रहा मिर्जापुर लोकसभा सीट का चुनाव परिणाम
मिर्जापुर लोकसभा सीट का चुनाव परिणाम देश की राजनीतिक लहर के साथ रही है. जिस दिशा में बयार बही उसी के साथ यहां की जनता हो ली. आजादी के बाद पहली बार वर्ष 1952 में कराए गए आम चुनाव में दो सीटें थीं. यहां से कांग्रेस के आरके नारायण व जेएन विल्सन चुने गए थे. वर्ष.1957 में भी इन्हीं लोगों को सफलता मिली. वर्ष.1962 में कांग्रेस के श्यामधर मिश्र सांसद चुने गए. वर्ष.1967 में जनसंघ के वंशनारायण सिंह चुने गए. अगली बार कांग्रेस के अजीज इमाम चुनात जीत गए. वर्ष 1977 में आपात काल के बाद जनता पार्टी के उम्मीदवार फकीर अली अंसारी चुनाव जीत गए. वर्ष.1980 में कांग्रेस के अजीज इमाम सांसद चुने गए. एक वर्ष बाद ही उनका निधन हो गया. उनके निधन के बाद उमाकांत मिश्र उप चुनाव में कांग्रेस से सांसद चुने गए. वर्ष 1989 में जनता दल के युसूफ बेग चुनाव जीते. वर्ष 1991 में भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त चुने गए. वर्ष 1996 में सपा की फूलन देवी, वर्ष 1998 में वीरेंद्र सिंह मस्त, वर्ष 1999 में फूलन देवी, वर्ष 2002 में सपा के रामरति बिंद, वर्ष 2004 में बसपा के नरेंद्र कुशवाहा, वर्ष 2007 के उपचुनाव में बसपा के रमेश दुबे वर्ष 2009 में सपा के बाल कुमार पटेल, वर्ष 2014 और 2019 में अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने जीत हासिल की.


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