इलाहाबाद न्यूज़: डीजे के कानफोड़ू शोर के दौर में विलुप्त हो रही हमारी प्राचीन भजन-कीर्तन मंडली और रामलीला व कृष्णलीला जैसी प्रस्तुति देने वाली संस्थाओं को अब प्रदेश सरकार मंच देगी.ऐसे लोगों को जो कम से कम पांच सालों से समूह बनाकर धार्मिक संगीतमय प्रस्तुतियां दे रहे हैं, उनका पंजीकरण किया जाएगा.आने वाले दिनों में बड़े सरकारी आयोजनों में इन्हें प्रस्तुति का अवसर भी दिया मिलेगा।
हमारी सांस्कृतिक पहचान में विशेष महत्व रखने वाली लोक मंडलियां अब लगभग विलुप्त सी हो रही हैं.एक समय था जब ग्रामीण क्षेत्रों में इन मंडलियों की नियमित प्रस्तुतियां होती थीं.इन्हें सुनने, देखने के लिए लोगों की भीड़ लगा करती थी.पूर्वजों की पंरपरा को बड़े ही रोचक अंदाज में पीढ़ियों के सामने पेश किया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे समय बदला और आधुनिक उपकरणों के जरिए सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होने लगीं.डीजे के शोर में ढोल-नगाड़े और मजीरे की धुन कहीं खो सी गई.अब इस प्राचीन परंपरा को एक बार फिर पुनर्जीवित किया जाएगा.प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम की ओर से सभी जिले के जिलाधिकारियों को पत्र लिखा गया है.इस पत्र में ग्राम पंचायतवार ऐसे कलाकारों को तलाश किया जाएगा.कम से कम पांच साल तक प्रस्तुति देने का अनुभव हो
यह होंगे फायदे
स्थानीय मेलों, त्योहरों, सांस्कृतिक विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रमों में प्रस्तुति का अवसर दिया जाएगा।
यह है गाइड लाइन
● कम से कम पांच साल तक कार्यक्रम करने का अनुभव हो।
● मंडली में कम से कम पांच अधिकतम 25 सदस्य होने चाहिए।
● अगर मंडली या दल किसी मंदिर या संस्था से जुड़ा है तो वहां का प्रमाणपत्र।
लोक कलाओं को पुनर्जीवित करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है.यह हमारी प्राचीन संस्कृति की पहचान है.पंजीकरण के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
संजय कुमार खत्री, जिलाधिकारी