अवैध तमंचा रखने के आरोप में 26 साल से 70 वर्षीय रामरतन को 400 से ज्यादा कोर्ट की तारीखों पर पेश होना पड़ा. दो-दो बार एक ही मामले का दंश झेलना पड़ा. आखिरकार उसे न्याय मिला और कोर्ट ने उसे मामले से बरी कर दिया. जानकारी के अनुसार रोहाना खुर्द गांव के रामरतन को पुलिस ने 2 नवंबर 1996 में अवैध तमंचा रखने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा था. करीब 3 महीने जेल में रहने के बाद रामरतन की जमानत हो गई. लेकिन उसके बाद शुरू हुआ कोर्ट की तारीखों का सिलसिला, जिसने रामरतन को न केवल आर्थिक और सामाजिक तौर पर तोड़ दिया बल्कि इस मुकदमे में खुद को निर्दोष साबित करने में उसकी उम्र भी निकल गई. बेटियों की पढ़ाई नहीं हो सकी. न ही उनकी सही तरीके से वो शादी कर सका. उसकी छोटी सी दुनिया केवल एक मामले के चलते बिखर गई.
आखिर कहां है वो तमंचा