राज्यमंत्री दयालु पर लगा दूसरा केस वापस होगा
प्रतिकार यात्रा में बवाल के आरोपितों में हैं शामि
वाराणसी: साल 2015 में प्रतिकार यात्रा के दौरान हुए बवाल में नामजद लोगों में मौजूदा आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र उर्फ दयालु भी हैं. उन पर दर्ज यह दूसरा मुकदमा होगा, जिसे वापस लेने की कवायद शुरू हुई है. बीते जुलाई में भी 20 साल पुराने एक मामले में सिगरा थाने में दर्ज मुकदमा वापस हो चुका है.
चार अगस्त 2003 की घटना के दौरान डॉ.दयाशंकर मिश्र युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष थे. पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ उग्र प्रदर्शन के आरोप में सिगरा थाने में केस दर्ज था. साल 2021 में शासन की ओर से राजनीतिक व्यक्तियों से मुकदमा वापसी की प्रक्रिया शुरू कराई गई थी. इस क्रम में अभियोजन पक्ष ने इस मामले में भी केस वापसी के लिए अर्जी दी थी. अभियोजन की अर्जी पर विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने केस वापसी की स्वीकृति दे दी.
अब अन्याय प्रतिकार यात्रा में भी उनसे केस वापसी की कवायद शुरू हो गई है. उस यात्रा में नामजद 82 में से दयाशंकर मिश्र उर्फ दयालु समेत 81 से केस वापसी की अर्जी है. केवल पूर्व विधायक अजय राय से केस वापस नहीं लिया जाना है.
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ रोक बढ़ी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती व दो अन्य के खिलाफ वाराणसी की एसीजेएम कोर्ट में चल रहे आपराधिक मुकदमे की कार्यवाही पर लगी रोक बढ़ा दी है. राज्य सरकार ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की. कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए याचिका को सुनवाई के लिए 20 सितंबर को पेश करने का निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजबीर सिंह ने अविमुक्तेश्वरानंद स्वामी व दो अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया. प्रकरण के अनुसार अक्तूबर 2015 में मैदागिन से दशाश्वमेध घाट तक प्रतिकार यात्रा निकाली गई थी. इसी यात्रा में गोदौलिया चौराहे पर भगदड़, तोड़फोड़ व आगजनी को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद व अन्य कई के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी.
पूर्व विधायक अजय राय को भी केसमुक्त करने की मांग
कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ ने अन्याय प्रतिकार यात्रा में अन्य लोगों के साथ पूर्व विधायक अजय राय को भी छूट देने की मांग की है. इसके लिए राज्यपाल के नाम ज्ञापन डीएम को सौंपा गया. कहा कि पांच बार के विधायक एवं मंत्री रहे अजय राय को छोड़कर बाकी से केस वापसी का निर्णय संविधान और कानून की मूल भावना के खिलाफ भेदभाव वाला है. अजय राय का छह दशक का सार्वजनिक जीवन बेदाग है. प्रतिनिधि मंडल में जिलाध्यक्ष एडवोकेट लोकेश सिंह, विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह, अभय कुमार सिंह, शिवानंद राय आदि रहे.