बकरी के बच्चे को बचाने में मुर्गे ने दी जान, अंतिम संस्कार में मालिक ने मुंडवाया सिर

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Update: 2022-07-21 10:22 GMT

प्रतापगढ़। कहा जाता है कि इंसान से ज्यादा वफादार बेजुबान जानवर होते हैं। दुनिया में कई लोग ऐसे भी हैं जो जानवर से बेहद प्यार करते हैं। ऐसा ही मामला यूपी के प्रतापगढ़ जिले से आया है। यहां एक शख्स ने एक मुर्गे की मौत के बाद अंतिम संस्कार कर अपना सिर मुंडवाया। इतना ही नहीं शक्स ने मुर्गे की तेरहवीं कर 500 से अधिक लोगो को भोजन भी कराया। ताजा मामला जिले के फतनपुर थाना क्षेत्र के बेहदौल कला गांव का है। यहां डॉ. शालिकराम सरोज नामक शख्स अपना क्लीनिक चलाते हैं। उन्होंने अपने घर पर बकरी और एक मुर्गा पाल रखा है।

पूरे परिवार के लिए मुर्गा बेहद प्यारा हो गया था। परिजन ने मुर्गे नाम लाली रख दिया था। बता दें कि 8 जुलाई को एक कुत्ते ने डॉ. शालिकराम की बकरी के बच्चे पर हमला कर दिया। बकरी का बच्चे को बचाने के लिए लाली कुत्ते से भिड़ गया। बकरी का बच्चा तो बच गया मगर लाली खुद कुत्ते के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गया। अगले दिन 9 जुलाई की शाम लाली ने दम तोड़ दिया। वहीं, घरवालों ने मुर्गे का शव घर के पास दफना दिया। इसके बाद अंतिम संस्कार में सिर मुंडवाने से लेकर अन्य कर्मकांड पूरे किए गए।

इसके बाद डॉ. शालिकराम ने रीति-रिवाज के मुताबिक मुर्गे की तेरहवीं की घोषणा की तो गांव के लोग दंग रह गए। तेरहवीं के दिन सुबह से ही हलवाई भोजन तैयार करने में जुट गए। भोजन में पूड़ी, सब्जी, दाल, चावल, सलाद, चटनी बनवाई गई थी। गांव के सभी लोगों को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। जब ग्रामीणों को पता चला कि शालिकराम ने तेरहवीं के कार्यक्रम के लिए 40 हजार रुपए खर्च किए हैं तब ग्रामीणों ने मालिक का मुर्गे के प्रति प्रेम देख कर उसकी सराहना की।
वहीं शालिकराम ने बताया कि मुर्गा हमारे परिवार के सदस्य जैसा था। घर की रखवाली करता था, उससे सभी को अटूट प्रेम था। उसकी मौत के बाद आत्मशांति के लिए ही हमने तेरहवीं का कार्यक्रम किया इस दौरान शालिकराम सरोज की बेटी अनुजा सरोज ने बताया कि लाली मुर्गा मेरे भाइयों जैसा था। उसकी मौत होने के बाद 2 दिनों तक घर मे खाना नहीं बना। घर में मातम जैसे माहौल छाया हुआ था। हम उसको रक्षाबंधन पर राखी भी बांधते थे।

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