नदी की सफाई सिर्फ कागजों में हुई, मोरटा-अटौर नंगला में प्लॉट काटे जा रहे
गाजियाबाद न्यूज़: हिंडन नदी 45 साल बाद अपने रौद्र रूप में बह रही है. हिंडन में बाढ़ से ऐसे हालत बने क्योंकि नदी की सफाई सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गई. शहर के नौ नाले कई साल से नदी को दूषित कर रहे हैं. हिंडन किनारे तेजी से कॉलोनी विकसित हो रही हैं. जलकुंभी हटाने पर कभी ध्यान नहीं दिया गया.
हिंडन नदी सहारनपुर से शुरू होकर नोएडा में यमुना में गिर हो रही है. लगभग 355 किलोमीटर लंबी हिंडन के दोनों तरफ 520 से ज्यादा फैक्ट्री हैं. इन सभी का दूषित पानी हिंडन में छोड़ा जा रहा है. सख्ती के बाद भी फैक्ट्री मालिक बाज नहीं आ रहे. गाजियाबाद के नौ नालों का गंदा पानी नदी में गिर रहा है. नगर निगम ने कई बार नालों के लिए योजना बनाई लेकिन वह परवान नहीं चढ़ सकी.
कुछ एसटीपी सही काम नहीं कर रहे. इस कारण पानी शोधित नहीं किया जा रहा. ऐसे में नदी दूषित हो रही है. हिंडन पर काम करने वाले विक्रांत का कहना है कि नदी के किनारे कूड़ा डाला जा रहा है. गाजियाबाद, नोएडा, बागपत और मुजफ्फरनगर में हिंडन को नाला बना दिया. इसके दोनों तरफ अतिक्रमण है. हिंडन की जलकुंभी को कभी साफ नहीं कराया गया.
जलकुंभी के कारण गाजियाबाद की कॉलोनी और गांव बाढ़ की चपेट में आ गए. शासन और प्रशासन के अधिकारी शिकायत पर भी ध्यान नहीं देते. उनका आरोप है कि हिंडन का काम केवल कागजों तक सिमट कर रह गया है.
मोरटा-अटौर नंगला में प्लॉट काटे जा रहे
भूमाफिया हिंडन नदी के पास मोरटा और अटौर नंगला में प्लॉट काट रहे हैं. अर्थला में भी हिंडन किनारे कॉलोनियां बसाई जा रही है. पूर्व में भूमाफिया करहेड़ा, मकनपुर, कनावनी, एनएच-9 के पास बाघू में नदी के किनारे कॉलोनियां बसा चुके हैं. हिंडन में बाढ़ आने से डूब क्षेत्र में ज्यादा तबाही मची है. लोगों के मकानों में पानी भर गया है. लोग घर से बेघर हो गए हैं.