उत्तर प्रदेश | वाराणसी में गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। इसके कारण घाटों की सीढ़ियां देखते-देखते एक-एक कर डूबती जा रही हैं। बीते चौबीस घंटों में करीब एक मीटर जलस्तर बढ़ गया। बढ़ाव के साथ तेज बहाव को देखते हुए छोटी नावों के संचालन पर रोक लगाई गई है। गंगा स्नान करने आने वालों को पब्लिक एड्रेस सिस्टम का प्रयोग करते हुए सचेत किया जा रहा है। गंगा की बाढ़ में हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह स्थल पूरी तरह से डूब गया है तो मणिकर्णिका घाट के दूसरे रैंप पर भी बाढ़ का पानी हिलोरे मार रहा है। वहीं, दशाश्वमेध घाट पर शनिवार को लगातार चौथे दिन आरती स्थल में बदलाव हुआ है। अब गंगा आरती जल पुलिस थाने के पास चौकी पर हुई। बाढ़ का पानी शीतला माता मंदिर की सीढ़ियों तक पहुंच गया है। काशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार के नीचे गंगा का पानी लहरा रहा है।
गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण वरुणा में भी पलट प्रवाह होने से तटवासियों की चिंताएं बढ़ गई है। जलस्तर में इसी तरह बढ़ाव जारी रहा तो अगले चौबीस घंटे बाद वरुणा किनारे के कई मोहल्लों में आबादी तक बाढ़ का पानी पहुंचने से लोगों को सुरक्षित ठिकाने की ओर पलायन करना होगा। उधर, गंगा के किनारे बसी कॉलोनियों में रहने वालों की भी चिंताएं बढ़ गई हैं। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार शनिवार सुबह गंगा का जलस्तर 64.95 मीटर दर्ज किया गया, जो चेतावनी बिंदु से पांच मीटर नीचे है। शनिवार को बढ़ाव की रफ्तार में थोड़ी कमी जरूर आई। अब जलस्तर दो सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है। मीरजापुर, गाजीपुर और बलिया में भी गंगा में बढ़ाव जारी है। हालांकि सभी जगह जलस्तर चेतावनी बिंदु से नीचे है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने वाराणसी सिगरा कन्वेंशन सेंटर में आयोजित तीन दिवसीय इंटरनेशनल टेंपल कॉन्क्लेव एंड एक्सपो में उद्घाटन सत्र में भाग लिया। इसमें उन्होंने कहा कि मंदिरों का संचालन या प्रबंधन कौन करता है, यह आवश्यक नहीं है। कहीं सरकारा के हाथों में प्रबंधन है तो कहीं प्राइवेट पार्टीज भी उदाहरण पेश कर रहे हैं। मोहन भागवत ने कहा कि जरूरी यह है कि मंदिर संचालन के लिए भक्ति- भाव और प्रबंधन या संचालन के लिए भक्त होना आवश्यक है। संघ प्रमुख ने कहा कि मंदिर भक्ति के साथ शक्ति का केंद्र बने, यह समय की जरूरत है। कॉन्क्लेव में देश के हिंदू, जैन और बौद्ध मंदिरों एवं गुरुद्वारों में प्रबंधन, समाज और देश के प्रति उनकी भूमिका पर विमर्श हो रहा है। इसमें साझा कार्ययोजना तैयार करने के लिए करीब 700 प्रतिनिधि जुटे हैं। सोमवार को कॉन्क्लेव का घोषणा पत्र या श्वेत पत्र जारी किए जाने की बात कही जा रही है।
गंगा नदी की धारा के तेज बहाव को देखते हुए नावों के संचालन पर अस्थायी रोक लगाई गई है। शनिवार को नदी का उफान कुछ कम हुआ है। लेकिन, जलस्तर में बढ़ोत्तरी लगातार जारी है। तेज धारा के कारण प्रशासन की ओर से शनिवार दोपहर 12 बजे से गंगा में नौका संचालन पर रोक लगा दी। प्रशासन ने गंगा के सामान्य होने तक नावों के परिचालन पर रोक लगाई है।