जिस राइफल से अमेरिकी सेना ने लड़ा था पहला विश्वयुद्ध, उसी हथियार से विकास दुबे ने पुलिस पर किया था फायर
जिस राइफल के दम पर अमेरिकी सेना ने पहले विश्वयुद्ध में अपने दुश्मन देशों से लोहा लिया था. उसी राइफल से विकास दुबे ने साथियों के साथ बिकरू गांव में 2 जुलाई को पुलिस पर हमला किया था जिसमें आठ पुलिसवालों की जान गई थी. अब सवाल है कि अमेरिका की ये राइफल विकास दुबे और उसके साथियों तक कैसे पहुंची? बिकरू कांड में इस्तेमाल हुई विकास दुबे के भांजे शिव तिवारी की सेमी ऑटोमेटिक स्प्रिंगफील्ड राइफल को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है.
रिपोर्ट के अनुसार गनहाउस संचालक ने राइफल के ऑटोमेटिक फंक्शन को बिना निष्क्रिय किए ही उसे बेचा था. एसटीएफ ने शिव तिवारी की जो राइफल बरामद की है उसमें ऑटोमेटिक फंक्शन सक्रिय मिला है. यानी कि इस राइफल को विकास दुबे और उसके साथियों ने गनहाउस के माध्यम से हासिल किया था.
एसटीएफ ने जिला प्रशासन और पुलिस को संचालक पर कार्रवाई के लिए रिपोर्ट भेजी है. पुलिस इस बात की भी जांच करेगी कि अमेरिकी स्प्रिंगफील्ड राइफल को गन हाउस से कैसे बेचा गया जबकि इसे विशेष परिस्थितियों में ही लाइसेंसधारी को बेचा जा सकता है. सेमी ऑटोमेटिक स्प्रिंगफील्ड राइफल प्रतिबंधित हथियार है. लाइसेंसी हथियार के रूप में उसका प्रयोग नहीं किया जा सकता है.
विशेष परिस्थियों में बेचने से पहले इस राइफल का ऑटोमेटिक फंक्शन निष्क्रिय कर दिया जाता है जिसके बाद यह साधारण राइफल बनकर रह जाती है और तब इसे लाइसेंसी हथियार के रूप में रखा जा सकता है.
अमेरिकी सेना प्रथम विश्वयुद्ध में इसी राइफल के साथ उतरी थी. सक्रिय स्प्रिंगफील्ड राइफल की मैग्जीन में एक बार में 10 कारतूस भरकर लगातार इन्हें चलाया जा सकता है. माना जा रहा है कि इसीलिए बिकरू में विकास दुबे का गैंग पुलिस पर भारी पड़ी और विकास दुबे और उसके साथियों के पास मौजूद दो-दो स्प्रिंगफील्ड राइफल ने पुलिस को कदम पीछे खींचने पर मजबूर कर दिए.
डीआईजी कानपुर प्रीतिन्दर सिंह का कहना है कि इस बात की जांच की जा रही है कि गन हाउस संचालक ने जब इस राइफल को बेचा, तब इसका ऑटोमेटिक फंक्शन निष्क्रिय था या नहीं. अगर विकास ने खुद राइफल को मॉडिफाइड कराया तो ऐसा करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी.