गमगीन माहौल में निकाला गया चेहल्लुम का जुलूस, या हुसैन की सदाओं से गूंज उठा सरयू तट
अयोध्या। पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के नाती हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम सहित कर्बला के 72 शहीदों की याद में पूरे जनपद अयोध्या में जहां जगह-जगह पर मजलिया मातम का आयोजन हो रहा है। वहीं अयोध्या स्थित सैयदबाड़ा मोहल्ले में चेहल्लुम का ऐतिहासिक जुलूस परंपरागत तरीके से गमगीन माहौल में निकाला गया।
जुलूस के दौरान सरयू तट या हुसैन की सदाओं से गूंज उठा। इस जुलूस में अंजुमने सज्जादिया जलालपुर अंबेडकरनगर के अलावा फैजाबाद शहर की प्रसिद्ध अंजुमने हैदरिया खुर्दमहल व अंजुमने आबिदिया इमामबाड़ा ने अपने अपने विषेश अंदाज में नौहा पेश किया।
जुलूस के दौरान अंजुमने हैदरिया ने ये नोहा पढ़ा "छुट के कैद से अब आ गई हूं मैं ऐ हुसैन", अंजुमने अबीदिया ने पढ़ा "रो रो के यह आबिद ने कहा मेरी सकीना शर्मिन्दा हूं बहना मैं वतन लौट रहा हूं"। वहीं जलालपुर की अंजुमन ने "हाय मासूम सकीना हाय मजलूम सकीना " मिसरे पर जब अपना नोहा पेश किया तो जुलूस की जियारत करने उमड़े सैंकड़ों सोगवारों की आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
जुलूस के पहले सैयदवाड़ा के अजाखाने में मजलिस हुई जिसे मौलाना इरफान आलमपुरी ने खिताब किया। इसके पहले विख्यात शायरे अहलेबैत चंदन सानेहल ने कलाम पेश किया। जुलूस का इंतजाम विख्यात शायर काशिफ अयोध्यावी ने किया। यह जुलूस मातम के साथ सरयू तट स्थित गोलाघाट पहुंचा जहां सैंकड़ों नम आंखों ने ताजियों को सरयू नदी की लहरों के हवाले कर दिया।
न्यूज़क्रेडिट: amritvichar