वार्डों के नए क्षेत्रों ने धुरंधरों के समीकरण बिगाड़े

Update: 2023-05-03 09:21 GMT

लखनऊ न्यूज़: परिसीमन के बाद वार्डों के नए भौगोलिक क्षेत्रफल ने चुनावी जंग में कूदे कई नेताओं के समीकरण बिगाड़ दिए हैं. जीत के लिए आश्वस्त दिख रहे नेताओं को अब चुनाव में मंजिल दूर नजर आ रही है. कई धुरंधर नेताओं को पसीने छूट रहे हैं.

इस बार निगम की सीमा में 88 नए गांव जोड़े गए थे. जिसकी वजह से कई क्षेत्रों का स्वरूप बदल गया. हालांकि वार्डों की संख्या 110 ही है लेकिन 88 गांव के आने की वजह से लगभग सभी की स्थिति में बदलाव हुआ है. जिसका असर उन नेताओं पर अधिक पड़ा है जो पहले से चुनाव जीतते आए हैं. अब इन्हें नए इलाकों में जमीन तैयार करने में पसीने बहाने पड़ रहे हैं.

जानकीपुरम क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे एक पार्षद प्रत्याशी का कहना है कि पहले चुनाव जितना आसान लग रहा था अब उतना ही कठिन हो गया है. फैजुल्लागंज क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले नेता भी चिंता में दिख रहे हैं. यहां कुछ नए प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं. उनके इलाके नए परिसीमन में उसी वार्ड से जुड़ गए हैं जिससे वह चुनाव की तैयारी कर रहे थे. आशियाना, एलडीए कॉलोनी कानपुर रोड क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे एक नेता इस बदलाव से खुश नजर आ रहे हैं. वह कहते हैं कि 2017 के चुनाव में एक राज्य मंत्री ने उनके वार्ड के प्रमुख मोहल्लों को दूसरे वार्ड में जुड़वा दिया था. जिसकी वजह से चुनाव में उनकी हार हुई थी. लेकिन इस बार उनकी पुराने इलाके और सेक्टर फिर से उनके वार्ड में जुड़ गए हैं. जिससे उनकी स्थिति काफी बेहतर है. वह अपनी पत्नी को चुनाव में उतार चुके हैं. इसी वार्ड से उतरे एक पूर्व पार्षद चिंतित हैं. क्योंकि पिछले चुनाव में वह पुराने परिसीमन पर जीते थे.

नए बने इन सात वार्डों में रोचक मुकाबला

इस बार सात नए वार्ड बनाए गए हैं. अटल बिहारी वाजपेयी वार्ड, लालजी टंडन, कल्याण सिंह, शहीद भगत सिंह द्वितीय, खरगापुर सरसावा, भरवारा मलहौर तथा जानकीपुरम तृतीय वार्ड नया बनाया गया है. इन वार्डों में रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा है. इन वार्डों में अधिकतर प्रत्याशी नए हैं. नए वार्डों में प्रत्याशियों की संख्या पुराने की तुलना में ज्यादा है.

Tags:    

Similar News

-->