मुस्लिम पक्ष ने लगाई हाईकोर्ट में गुहार, शृंगार गौरी में नियमित पूजा अर्चना का अधिकार देने को लेकर दाखिल वाद पर सुनवाई रोकने की मांग
उत्तरप्रदेश ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी में नियमित पूजा अर्चना का अधिकार दिए जाने के संबंध में पांच महिलाओं की ओर से दाखिल दीवानी मुकदमे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. वाराणसी जिला न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति 12 सितंबर के आदेश से खारिज कर दी थी. हाईकोर्ट में जिला जज वाराणसी के इस आदेश को चुनौती दी गई है. याचिका पर सुनवाई होने की संभावना है.
अंजुमन इंतजामिया कमेटी की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम पक्ष की ओर से वाराणसी जिला न्यायालय में राखी सिंह सहित पांच महिलाओं की याचिका की सुनवाई रोकने के लिए आपत्ति दाखिल की थी. मुस्लिम पक्ष की आपत्ति थी कि व्यवहार प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 के तहत वाद सुनवाई योग्य नहीं है. जिला जज ने 12 सितंबर 2022 को मुस्लिम पक्ष की आपत्ति खारिज करते हुए वाद पर सुनवाई जारी रखी. इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देकर जिला न्यायालय वाराणसी में चल रहे वाद को रोकने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि प्लेसिस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत इस मामले की सुनवाई नहीं की जा सकती है.
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की तरफ से मुमताज अहमद, तौहीद खान, रईस अहमद, मेराजुद्दीन खान और एखलाक खान ने कोर्ट में प्रतिउत्तर में सवाल उठाया कि जब देवता की तरफ से मुकदमा किया गया तब वादी पक्ष की तरफ से पक्षकार 4 और 5 विकास शाह और विद्याचन्द्र कैसे वाद दाखिल कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि वादी पक्ष आराजी नं. 9130 के एक बीघा, 9 विस्वा 6 धूर के खसरा को गलत बता रहा है तब यह वाद कैसे विश्वसनीय माना जाए. एक तरफ कहा जा रहा है कि वाद देवता की तरफ से दाखिल है. दूसरी तरफ पब्लिक से जुड़े लोग भी इस वाद में शामिल हैं. यह वाद किस बात पर आधारित है, इसका कोई पेपर दाखिल नहीं किया गया है और कोई सबूत नहीं है.