सरकार द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन उसी सरकार के जिम्मेदारी अधिकारी आत्मनिर्भर बनने की ओर से अग्रसर महिलाओं का रोजगार छीनकर सरकार की मंशा पर ही पानी फेरने पर तुले हुए हैं। यहां बात स्वयं सहायता समूहों की गरीब महिलाओं की हो रही है।
विगत वर्षों में अयोध्या में होने वाले दीपोत्सव में दीयों व बाती से जगमग करने की जिम्मेदारी इन महिला समूहों को भी दी गयी। महिलाओं ने लाखों दीये व बाती तैयार कर प्रशासन को सौंपा। जिनके बदौलत पिछले वर्ष दीपोत्सव ने वर्ल्ड रिकार्ड बनाया।
लेकिन इस बार जब महिलाओं ने दीये और बाती तैयार कर ली कि उनसे प्रशासन खरीदेगा तो पता कि महिला समूहों से नहीं बल्कि सरकार ने टेंडर के जरिये दीये व बाती का ठेका किसी संस्था को दे दिया है। जब यह बात महिला समूहों को पता चली तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई।
ऐसे में दीये व बाती के जरिये खुद को आत्मनिर्भर बनने का सपना संजाये महिला समूहों के सामने अंधेरा छा गया है। अब सवाल यह खड़ा हो गया है कि बिक्री की आस में इतनी अधिक मात्रा में तैयार दीये व बाती कहां बेचेंगी। फिलहाल इसे लेकर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
…तो धरे रह जाएंगे इनके बनाए दीये
मसौधा ब्लॉक क्षेत्र के हूसेपुर गांव की सोनम महिला स्वयं सहायत समूह ने कहा कि आखिरकार हम लोगों के दीये और बाती क्या कमी थी, जो इस बार उनकी उपेक्षा की गई।
अब जब हमने 50 हजार से अधिक दीये बनाकर तैयार कर लिए तो पता चल रहा है कि इस बार उनके दीये व बाती नहीं लिये जाएंगे। सड़वा गांव की मुस्लिम महिलाएं सबीना खातून की अध्यक्षता में मोहम्मद शाह बाबा महिला स्वयं सहायता समूह बाती तैयार कर रही हैं।
इस समूह को पिछले साल दीपोत्सव के लिए चार लाख बाती बनाने का आर्डर मिला था। लेकिन इस बार उन्हें दरकिनार कर दिया गया।
मुस्लिम महिलाएं जेबा खातून, जीनत बानो, गुड़िया, सबीना बानो, नफीसा खातून के साथ ही भानमती, गीता, ममता समेत महिलाएं दीपक की बाती के जरिए उजाला करने के लिए इन दिनों खूब मेहनत कर रही हैं। समूह की अध्यक्ष सबीना खातून दीपोत्सव के लिए बाती बनाने का कार्य करवा रही हैं।