आबादी की गणना से अनारक्षित रही मेयर सीट, हाईकोर्ट ने नए सिरे से गणना का दिया था आदेश

Update: 2023-04-03 07:24 GMT

इलाहाबाद न्यूज़: प्रयागराज में महापौर की सीट सामान्य कर दी गई है. पिछले साल पांच दिसंबर को जारी अधिसूचना में यह सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गई थी. नगर विकास विभाग ने जारी अधिसूचना में पूर्व की अधिसूचना में बदलाव करते हुए यहां की महापौर सीट को सामान्य बरकरार रखा.

2017 के चुनाव में यहां के महापौर की सीट सामान्य थी. पांच दिसंबर 2022 को जारी अधिसूचना में प्रयागराज के महापौर की सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित करने का विरोध हो रहा था. पिछड़ी जाति की संख्या के आधार पर लोग महापौर की सीट सामान्य से अन्य पिछड़ा वर्ग में बदलाव का विरोध कर रहे थे. महापौर की सीट अन्य पिछड़ा वर्ग घोषित होने के खिलाफ तमाम आपत्तियां की गई थीं.

आपत्ति करने वालों ने विस्तारित नगर निगम क्षेत्र में पिछडी जाति की आबादी को आधार बनाया था. महापौर और नगर निगम क्षेत्र में 100 वार्डों का आरक्षण जारी करने से पहले यहां पिछड़ी जाति की गणना कराई गई थी. 100 वार्डों में हुई गणना में कुल आबादी का 19.48 फीसदी ओबीसी पाए गए थे. जानकारों का कहना था कि अन्य पिछड़ी जाति की आबादी 21 फीसदी से कम होने पर महापौर की सीट सामान्य होनी चाहिए थी. प्रदेश के कई शहरों में 25 फीसदी से अधिक अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी होने के बावजूद महापौर की सीट को सामान्य घोषित किया था. आपत्तियों के निस्तारण से पहले अन्य पिछड़ी जाति के आरक्षण का मामला उच्च न्यायालय (लखनऊ बेंच) में चला गया. उच्च न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद प्रदेश सरकार को नए सिरे से अन्य पिछड़ी जाति की गणना करने का आदेश दिया. गणना के बाद प्रदेश सरकार ने पिछड़ी जाति की गणना रिपोर्ट सुप्रीमकोर्ट में पेश की. सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद नगर विकास विभाग ने पूर्व की अधिसूचना में घोषित की गई अन्य पिछड़ा वर्ग को बदलकर महापौर की सीट को सामान्य बरकरार रखा.

छह अप्रैल तक करें आपत्ति: प्रयागराज की महापौर की सीट सामान्य होने पर कोई भी छह अप्रैल तक आपत्ति कर सकता है. अधिसूचना प्रकाशित होने के बाद नगर विकास विभाग ने छह अप्रैल को शाम छह बजे तक प्रमुख सचिव को संबोधित अपनी आपत्ति लिखित या डाक से निदेशक स्थानीय निकाय निदेशालय सेक्टर-7 गोमतीनगर विस्तार लखनऊ को दे सकते हैं.

चौथी बार सीट सामान्य: प्रयागराज के महापौर की सीट चौथी बार सामान्य घोषित की गई है. प्रदेश में संविधान का 74वां संशोधन लागू होने के बाद 1995 में पहली बार महापौर (तब नगर प्रमुख) का चुनाव हुआ. जनता से सीधे महापौर के पहले चुनाव में प्रयागराज के महापौर की सीट महिला के लिए आरक्षित की गई थी. इसके बाद वर्ष 2000 और 2006 के चुनाव में महापौर की सीट सामान्य रही. 2012 में एकबार फिर महापौर की सीट सामान्य महिला रही. 2017 में महापौर की सीट फिर सामान्य रही. इस प्रकार अबतक हुए पांच चुनाव में तीन बार महापौर की सीट तीन बार सामान्य रही. अब चौथी बार सामान्य घोषित की गई है.

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